Madhya Pradesh: कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए तीन और चीते, जानें- अब कितनी हुई संख्या
MP News: केएनपी में चीतों को छोड़ने की योजना के बारे में प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने बताया कि 11 चीतों में से एक को अगले कुछ दिनों में छोड़ा जाएगा. वहीं कुछ चीतों की स्थिति छोड़ने लायक नहीं है.
Kuno National Park: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के श्योपुर जिले (Sheopur District) के कूनो नेशनल पार्क (KNP) में तीन और चीतों (Cheetah) को छोड़ा गया है. इसके साथ ही यहां के जंगलों में अब तक कुल छह चीते छोड़े जा चुके हैं. इस संबंध में एक अधिकारी ने शनिवार कूनो नेशनल पार्क में चीतों के छोड़े जाने के बारे जानकारी दी.
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) जे एस चौहान ने को बताया कि तीन चीतों (अग्नि, वायु नाम के दो नर चीते और गामिनी नाम की एक मादा चीता) को शुक्रवार को कूनो नेशनल पार्क के जंगलों में छोड़ा गया. इन तीनों को दक्षिण अफ्रीका से भारत लाया गया था. चौहान ने कहा कि इसी के साथ केएनपी के जंगलों में अब तक छोड़े गए चीतों की संख्या बढ़कर छह हो गई है.
केएनपी में चीतों को लेकर अधिकारी ने ये कहा
जे एस चौहान बताया कि अब बाड़ों में 11 चीते और चार शावक हैं. अधिकारी ने बताया कि पिछले साल सितंबर में केएनपी लाए गए आठ चीतों में से अब तीन मादा चीता और एक नर चीता बाड़े में हैं. उन्होंने कहा, “नामीबिया की एक मादा चीता को अगले कुछ दिनों में जंगल में छोड़ा जाना है. एक अन्य मादा चीता को जंगल में नहीं छोड़ा जा सका था, क्योंकि उसने शावकों को जन्म दिया था. तीसरी मादा चीता जंगल में छोड़े जाने के लिए अभी तैयार नहीं है.”
‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत नामीबिया से लाए गए हैं चीते
अधिकारी के मुताबिक, नामीबिया का नर चीता ओबान, जो बार- बार क्षेत्र से भटककर बाहर चला जाता है, उसे भी एक बाड़े में रखा गया है. पांच मादा और तीन नर चीतों सहित आठ चीतों को नामीबिया से पिछले साल 17 सितंबर को, भारत में चीतों को फिर से बसाने की योजना ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत केएनपी में लाया गया था. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन चीतों को बाड़ों में छोड़ा था.
दो महीनों में तीन चीतों की हो चुकी है मौत
इसके बाद, सात नर और पांच मादा सहित 12 चीतों को इस साल 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से केएनपी लाया गया. इन 20 स्थानांतरित चीतों में से तीन चीतों- दक्ष, साशा और उदय की पिछले दो महीनों में बाड़े में मौत हो गई. वहीं, सियाया नाम के चीते ने इस साल मार्च में केएनपी में चार शावकों को जन्म दिया था. 1947 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में भारत में अंतिम चीते की मौत हो गई थी और 1952 में इस प्रजाति को देश से विलुप्त घोषित कर दिया गया था.
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