जबलपुर: खानाबदोशों सा जीवन जी रही 'सुंदरी' को अब अपना स्थायी ठिकाना मिल गया है. हालांकि उसका जन्म मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के बांधवगढ़ में हुआ था. फिर उसे एक सरकारी मिशन पर ओडिसा के सतकोसिया भेज दिया गया. मामला जमा नहीं तो उसे फिर मंडला जिले के कान्हा वापस बुला लिया गया. आखिरकार कोर्ट-कचहरी में चली लड़ाई के बाद उसे भोपाल में स्थायी ठिकाने पर भेज दिया गया है.


दरअसल, 'सुंदरी' बाघिन का नाम है. उसे कान्हा टाइगर रिज़र्व से बुधवार को वन विहार भोपाल भेज दिया गया. बाघिन को भोपाल भेजने के लिए कान्हा और पेंच टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सकों ने वन अधिकरियों की उपस्थिति में सबसे पहले बेहोश (ट्रंकुलाइज़) किया गया. इसके बाद उसका हेल्थ चेकअप किया गया. इसके बाद उसे वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट्स की निगरानी में स्पेशल वैन से कान्हा से भोपाल रवाना का कर दिया गया.


सुंदरी की यात्रा


'सुंदरी' की अब तक की यात्रा भी बेहद दिलचस्प है. दरअसल, ओडिसा के सतकोसिया टाईगर रिजर्व में बाघ स्थापना कार्यक्रम के तहत 2018 में बांधवगढ़ से बाघिन 'सुंदरी' को भेजा गया था. सतकोसिया में 'सुंदरी' जंगल के बाहर निकल कर ग्रामीण क्षत्रों में जाने लगी. इस दौरान उसने दो लोगों पर हमला भी कर दिया. 'सुंदरी' के इस हमले में दोनों ग्रामीणों की मौत हो गई. बाघिन मवेशियों का भी शिकार करने लगी. इससे वहां के ग्रामीण आक्रोशित होकर बाघिन की जान के दुश्मन बन गए. भारी विरोध को देखते हुए बाघिन को सतकोसिया टाईगर रिजर्व में दो साल तक बाड़े में रखा गया था.


कान्हा टाइगर रिजर्व के क्षेत्रीय संचालक एसके सिंह के मुताबिक राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, नई दिल्ली की ओर से इस कार्यक्रम को स्थगित करते हुये बाघिन को मध्य प्रदेश वापस भेजने का फैसला लिया गया. इस संबंध मे एक याचिका भी जबलपुर हाई कोर्ट में दाखिल की गई थी. उच्च न्यायालय ने 4 नवंबर 2020 को बाघिन को कान्हा टाईगर रिजर्व, मण्डला लाने और वन्य जीवन (Rewild) के लिए ट्रेंड करने के निर्देश दिए थे. 24 मार्च 2021 को बाघिन को सतकोसिया से लाकर कान्हा टाईगर रिजर्व, मण्डला के मुक्की परिक्षेत्र में बने घोरेला बाघ बाड़ा (Tiger Enclosure) में रखा गया था. यहां उसे फिर जंगल में रहने के लिए तैयार किया जा रहा था. सतकोसिया टाईगर रिज़र्व में दो वर्ष तक और फिर एक वर्ष से अधिक समय तक कान्हा टाईगर रिजर्व के बाड़े में रहने के बाद 'सुंदरी' ने शिकार करना तो शुरू कर दिया था, लेकिन इंसानों के पास जाने के उसके व्यवहार कोई तब्दीली नजर नहीं आ रही थी.


इंसानों की हलचल पहचान लेती है सुंदरी


कान्हा टाइगर रिज़र्व के क्षेत्रीय संचालक एसके सिंह ने बताया कि बाड़े में रहने के बाद भी जैसे ही 'सुंदरी' को इंसानी हलचल महसूस होती थी तो वो वहीं पहुंच जाती थी. ऐसे में उसे खुले जंगल में छोड़ा जाना सुरक्षित नहीं था. यही वजह रही कि मध्य प्रदेश के मुख्य वन्य जीव अभिरक्षक (Chief Wildlife Conservator) ने 'सुंदरी' को भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भेजने का आदेश दिया. इसके बाद सुंदरी को कान्हा से भोपाल भेज दिया गया.


यह भी पढ़ें


Good News For Farmers: मायूस न हों मूंग पैदा करने वाले एमपी के किसान, एमएसपी पर खरीदेगी सरकार, इस तारीख से होगा रजिस्ट्रेशन


Watch: इंदौर में 18 घंटे की लगातार बारिश से बिगड़े हालात, कागज के नाव की तरह पानी में बह गई कार