MP News: मध्यप्रदेश में लव जिहाद और नफरत फैलाने के कई मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन अभी भी इंसानियत जिंदा है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण मध्य प्रदेश के देवास जिले में रहने वाले टीपू सुल्तान ने पेश किया है. टीपू सुल्तान ने अपनी जान पर खेलकर हिंदू बेटी की जान बचाई. टीपू सुल्तान की बहादुरी पर देवास एसपी ने पांच हजार का इनाम दिया. वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी टीपू सुल्तान की जमकर तारीफ की.


देवास पुलिस अधीक्षक डॉ शिवदयाल सिंह ने बताया कि देवास में शिप्रा नदी में कूदकर मोनाली नामक 19 वर्षीय युवती अपनी जान देना चाहती थी. जैसे ही मोनाली नदी में कूदी और डूबने लगी, वैसे ही नदी किनारे खड़े टीपू सुल्तान शिप्रा में छलांग लगा दी. टीपू सुल्तान ने अपनी जान की परवाह किए बिना मोनाली को सही सलामत किनारे पर लाकर छोड़ दिया. इस दौरान टीपू सुल्तान की हालत भी बिगड़ गई. इस घटना के बाद मोनाली को अस्पताल ले जाएगा. टीपू सुल्तान की बहादुरी के चलते मोनाली की जान बच गई. 


एसपी ने दिए पांच हजार रुपये
इस बात की जानकारी जब देवास एसपी डॉक्टर शिवदयाल सिंह को लगी तो उन्होंने तुरंत टीपू सुल्तान को बुलाकर उसका सम्मान किया. टीपू सुल्तान को प्रशस्ति पत्र दिया गया, वहीं उसे पांच हजार का नकद पुरस्कार भी दिया गया. इस पूरे मामले की जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक पहुंच गई. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट करते हुए टीपू सुल्तान को उसकी बहादुरी पर बधाई दी है.


नफरत की राजनीति के बीच इंसानियत की मिसाल
मध्य प्रदेश में पिछले कुछ समय में लव जिहद के कई मामले सामने आए हैं, जिसने अल्पसंख्यकों और बहुसंख्यकों के बीच एक खाई पाटने की कोशिश की. सरकार की ओर से मध्य प्रदेश में लव जिहाद को लेकर सख्त कानून भी बनाया गया है. इसके अलावा नफरत फैलाने के कई किस्से भी पिछले कुछ सालों में सामने आ चुके हैं मगर टीपू सुल्तान जैसे शख्स ने इस बात को प्रमाणित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है कि सभी धर्म से ऊपर इंसानियत है. इंसानियत के चलते टीपू सुल्तान ने अपनी जान का खतरा उठा कर मोनाली को बचा लिया.


पारिवारिक कारणों से जान देने पहुंची थी मोनाली
देवास एसपी डॉ शिवदयाल सिंह ने बताया कि मोनाली पारिवारिक कारणों के चलते परेशान थी. परिवार की ओर से जो जानकारी मिली है, उससे स्पष्ट हो रहा है कि वह खुद ही नदी में कूद गई थी. हालांकि समय रहते मोनाली की जान बचा ली गई. इसके बाद जब मौके पर मौजूद लोगों ने टीपू सुल्तान की बहादुरी के बारे में उन्हें बताया तो उन्होंने तुरंत फैसला लिया कि टीपू सुल्तान का हौसला बढ़ाने के लिए उसे पुरस्कृत किया जाना आवश्यक है.


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