MP: लहसुन के बाद अब इस फसल ने किसानों को रुलाया, अन्नदाता सड़कों पर फेंकने को हो रहे मजबूर
Tomato Prices Fall: एक किलो टमामट तुड़वाने पर 2 रुपए का खर्च आता है, लेकिन छिंदवाड़ा की मंडी में टमाटर एक रुपये किलो बिक रहा है. लिहाजा, किसान अपनी फसल को मंडी में यूं ही फेंकने को मजबूर हो रहे हैं.
Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश में लहसुन के बाद अब टमाटर ने किसानों को रुलाना शुरू कर दिया है. हालत ये है कि मंडी में उचित मूल्य नहीं मिलने से परेशान किसान टमाटर को मंडी में यूं ही फेंकने को मजबूर हो रहे हैं. दरअसल, छिंदवाड़ा में टमाटर की कीमत किसानों को कई बार एक रुपये या उससे भी कम मिल रही है. यानी मेहनत करने के बावजूद भी मुनाफा तो छोड़िए किसानों को लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है.
मंडी तक लाने का खर्च है 3 रुपये प्रति किलो
कुण्डलीकला के किसान निखिल कराडे शुक्रवार को जब कृषि उपज मंडी में अपना टमाटर लेकर पहुंचे तो उसके दाम सुनकर उनके होश उड़ गए. दरअसल, यहां टमाटर का थोक भाव एक रुपये प्रति किलो खुला था. निखिल के मुताबिक 2 रुपये किलो तो टमाटर तोड़ने की मजदूरी बनती है. इसके अलावा एक रुपये किलो मंडी तक फसल लाने का भाड़ा बनता है. उत्पादन लागत जो लगी सो अलग.
मजबूरी में वे मंडी में ही टमाटर फेंक कर चले गए. गौरतलब है कि इससे पहले लहसुन की फसल को लेकर भी किसानों को इसी तरह की स्थित का सामना करना पड़ा था. फसल का उचित मूल्य नहीं मिलने पर लोगों ने जगह-जगह लहसुन को फेंकना शुरू कर दिया था.
टमाटर की हुई है बम्पर पैदावार
बताया जाता है कि छिंदवाड़ा जिले में टमाटर की बम्पर पैदावार हुई है. लेकिन, उचित दाम न मिलने से बहुत से किसान खेतों से टमाटर तोड़कर खेत में ही फेंक रहे हैं. अगर पेड़ में लगा टमाटर किसान नही तोड़े तो नया फल नहीं आएगा. इस मजबूरी में उन्हें जेब से मजदूरी देनी पड़ती है.
सरकार तय करे एमएसपी
सारण गांव के एक किसान ओमकार साहू ने बताया कि इस बार टमाटर 1 से 2 रुपए किलो बिक रहा है. इसमें लागत निकालना तो दूर, किसान मजदूरी भी नहीं निकाल पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि मेरे पास 25 एकड़ कृषि भूमि है, जिनमें से आधी जमीन में टमाटर की खेती करता हूं. महंगाई बढ़ने से अब टमाटर की खेती में प्रति एकड़ एक से डेढ़ लाख रुपए की लागत आती है.
छिंदवाड़ा जिले के किसान दुर्गेश साहू ने बताया कि सब्जियों की खेती करने वाला किसान अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं. हम चाहते है कि जिस प्रकार गेहूं, चना, धान और अन्य फसलों का समर्थन मूल्य तय किया जाता है, उसी प्रकार सब्जियों का भी एक निश्चित दाम तय कर दिया जाए, जिससे किसान को नुकसान न उठाना पड़े.
6 रुपए प्रति किलो आती है लागत
इजरायल की मल्चिंग टेक्नीक से आधुनिक खेती करने वाली जबलपुर के हर्रई एग्रो फॉर्म की डायरेक्टर रश्मि गुप्ता के मुताबिक 1 एकड़ टमाटर उगाने में मिनिमम डेढ़ लाख रुपए तक का खर्च आता है. इसके बाद टमाटर तोड़ने में प्रतिदिन एक मजदूर को 300 रुपये का भुगतान करना पड़ता है, जो 2 से ढाई क्विंटल टमाटर तोड़ लेता है. यदि थोक मंडी में टमाटर की 6 रुपये किलो से ज्यादा कीमत मिलने पर ही किसान को टमाटर की खेती में फायदा होता है.
बढ़ रही है किसानों की आत्महत्या दर
यहां बता दें कि एनसीआरबी (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक देशभर में 2021 में 10881 किसानों ने आत्महत्या की थी. इनमें से अधिकांश ने फसल खराब होने या कर्ज में दबे होने की वजह से यह आत्मघाती कदम उठाया था. सरकार भले ही दावा करें कि उसने किसानों की आय डेढ़ से दोगुना कर दी है, लेकिन सच्चाई ये है कि किसान को आज भी कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. बहुत सारी फसलों का लागत मूल्य भी किसान नहीं निकाल पाता है.
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