Mahakal Temple News: जब भी कोई परिवर्तन होता है, इसका असर समाज के हर वर्ग पर पड़ता है. महाकालेश्वर मंदिर के विस्तारीकरण योजना का भार भी शिव भक्तों पर पड़ रहा है. महाकाल लोक निर्माण के बाद महाकालेश्वर मंदिर में नए आय के स्रोत बनाए गए हैं, जिसकी वजह से शिव भक्तों की जेब ढीली हो रही है. उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा कमाई करने वाले मंदिरों में शामिल हो गया है. मंदिर में पिछले 3 महीने में ही 22 करोड़ रुपए से ज्यादा आय हुई है जबकि 22 करोड़ रुपए साल 2021 में 1 वर्ष की आय थी.


महाकाल लोक निर्माण के बाद मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में ही बढ़ोतरी नहीं हुई है, बल्कि मंदिर की आय भी कई गुना बढ़ गई है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि मंदिर में हर प्रकार की सुविधा के लिए अलग-अलग शुल्क तय किए गए हैं. हालांकि यह शुल्क आम शिवभक्त की पहुंच से बाहर हैं. अगर भगवान महाकाल के शीघ्र दर्शन करना है तो एक व्यक्ति को ढाई सौ रुपए देना होंगे. वहीं अगर शिव भक्त भगवान महाकाल पर जल अर्पित करना चाहता है तो उसे 2 लोगों के लिए 1500 रुपए की राशि देना पड़ेगी. हालांकि गर्भ ग्रह में निशुल्क प्रवेश को लेकर मंगलवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को 5 घंटे का समय तय किया गया है, मगर यह समय भी भीड़ की परिस्थिति को देखते हुए कम-ज्यादा किया जा सकता है.


उज्जैन के नवागत कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने हम श्रद्धालुओं को गर्भ गृह में प्रवेश के लिए एक घंटे समय अतिरिक्त बढ़ा दिया है, इससे श्रद्धालुओं को और भी राहत मिली है. उज्जैन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम के मुताबिक प्रबंध समिति ने जो भी निर्णय लिए हैं उसका पालन कराया जा रहा है. सभी निर्णय उनकी जॉइनिंग के पहले के हैं. अब आगे प्रबंध समिति में जो भी नए निर्णय होंगे उनका पालन होगा. वर्तमान में सामान्य कतार में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए दर्शन निशुल्क है. हालांकि इसके लिए भीड़ अधिक होने पर कई घंटो तक इंतजार करना पड़ता है.


कलेक्टर के माता-पिता को भी चुकाना पड़ा शुल्क
उज्जैन के पूर्व कलेक्टर आशीष सिंह के माता-पिता भी जब दर्शन करने के लिए पहुंचे, तो उन्हें भी छूट नहीं मिल पाई. उन्हें भी 500 रुपए की रसीद कटवा कर महाकाल के दर्शन करना पड़े. कलेक्टर आशीष सिंह के कार्यकाल में ही प्रबंध समिति ने निर्णय लेकर सभी श्रद्धालुओं को शीघ्र दर्शन के लिए 250 रुपए का शुल्क देने का नियम बनाया था.


श्रद्धालुओं को हो रही परेशानी
महाकालेश्वर मंदिर में ऐसे श्रद्धालुओं की भी कमी नहीं है जो प्रतिदिन भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं. ऐसे श्रद्धालुओं की संख्या 3000 के आसपास है. नया नियम बनने के बाद प्रतिदिन आने वाले श्रद्धालुओं को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. प्रतिदिन दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु दीपक ने बताया कि नियमों का सख्ती से पालन करना अच्छी बात है, लेकिन शिव भक्तों की भावना के अनुरूप निर्णय लिए जाने चाहिए. दीपक के मुताबिक सामान्य और निम्न वर्ग का श्रद्धालु प्रतिदिन 250 की राशि नहीं कटवा सकता है, इसलिए कई नियमित भक्तों ने मंदिर आना बंद कर दिया है. 


प्रसाद से लेकर प्रवेश तक शुल्क ही शुल्क
महाकालेश्वर मंदिर में शीघ्र दर्शन के लिए 250 और गर्भगृह में प्रवेश के लिए 1500 रुपए देने के बावजूद श्रद्धालुओं को मंदिर समिति की ओर से प्रसाद तक नहीं मिल पा रहा है. इसके अलावा पिछले दिनों प्रसाद के दाम में भी बढ़ोतरी की गई है. मंदिर समिति का दावा है कि अभी भी प्रसाद को लागत से कम मूल्य पर मुहैया कराई जा रहा है. कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने इस बात को लेकर जरूर गंभीरता से विचार करने की बात कही है कि शुल्क देने वाले श्रद्धालुओं को मंदिर की ओर से थोड़ा प्रसाद दिया जाना उचित होगा. हालांकि इस पर भी निर्णय प्रबंध समिति की बैठक में ही हो पाएगा. 


महाकालेश्वर मंदिर समिति के खर्चों में बढ़ोतरी
महाकालेश्वर मंदिर समिति के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल के मुताबिक मंदिर में समिति की ओर से 300 कर्मचारी पदस्थ हैं. इसके अलावा 500 सुरक्षाकर्मी भी यहां पर रखे गए हैं, जिन्हें मंदिर समिति की ओर से वेतन दिया जाता है. मंदिर में कर्मचारियों के वेतन पर लगभग 54 लाख रुपए महीना खर्च होता है. इसके अलावा बिजली, पानी, मरम्मत और मंदिर में होने वाले अन्य धार्मिक आयोजन का खर्च अलग है. महाकाल लोक निर्माण के बाद खर्च में भी बढ़ोतरी हुई है. हालांकि आय की तुलना में खर्च बहुत कम है.


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