Vyapam Scam MP: मध्य प्रदेश की एक विशेष सीबीआई अदालत ने व्यापमं द्वारा कराए गए प्री मेडिकल टेस्ट 2010 में गड़बड़ी से जुड़े एक मामले में दो लोगों को चार साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. यह परीक्षा मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) द्वारा आयोजित की गई थी. ग्वालियर सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश ने दुष्यंत सिंह भदौरिया और जगपाल सिंह को सजा सुनाते हुए उन पर 13,100 रुपये का जुर्माना भी लगाया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने यह मामला दर्ज किया था. 


शीर्ष अदालत के आदेश पर सीबीआई ने ग्वालियर के झांसी रोड थाने में दर्ज मामले की जांच अपने हाथ में ली थी. इस मामले में आरोप यह है कि दुष्यंत सिंह भदौरिया (उम्मीदवार) ने प्री मेडिकल टेस्ट-2010 की लिखित परीक्षा देने वाले 'सॉल्वर' की व्यवस्था की थी. परिणाम आने के बाद उसने ग्वालियर के एक मेडिकल कॉलेज में दाखिला ले लिया था.


ऐसे खुला सॉल्वर का राज 
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने मामले की गहन जांच की. सीबीआई जांच के दौरान सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (सीएफएसएल) की रिपोर्ट से पता चला कि उत्तर पुस्तिकाओं में उम्मीदवार भदौरिया की लिखावट नहीं थी. सीबीआई ने परीक्षा में भदौरिया के बदले लिखने वाले व्यक्ति का भी पता लगाया तो उसकी पहचान दुष्यंत सिंह के रूप में हुई. सीबीआई ने अदालत को सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (सीएफएसएल) की रिपोर्ट के आधार पर बताया कि यह पुष्टि हुई है कि ओएमआर उत्तर पत्रक, प्रश्न पुस्तिका के कवर पेज और पीएमटी 2010 की उत्तर पुस्तिका और उपस्थिति (आरएएसए) शीट के रिकॉर्ड में दुष्यंत सिंह की लिखावट थी. यह भी पुष्टि की गई कि दस्तावेजों में इस्तेमाल की गई तस्वीरों में भदौरिया (उम्मीदवार) और सिंह (सॉल्वर) दोनों के चेहरे मेल नहीं खाते हैं. सीबीआई ने विवेचना के बाद अभियुक्तों के विरुद्ध आरोपपत्र दाखिल किया. अदालत ने अभियुक्तों को कसूरवार पाया और उन्हें दोषी ठहराया.


सीबीआई कोर्ट ने 13 दिसंबर को भी 8 को सुनाई थी सजा 
13 दिसंबर 2022 को व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) घोटाले में सीबीआई की विशेष अदालत ने 8 मुन्नाभाई को 7 साल की सजा सुनाई थी. इस मामले में 2013 में पशुपालन डिप्लोमा की परीक्षा मूल परीक्षार्थी के बदले देते हुए मुन्नाभाई पकड़ाए थे. बता दें कि मध्य प्रदेश का व्यापमं घोटाला देश के चर्चित घोटालों में से एक रहा है. व्यापमं ने मध्य प्रदेश में 2004 से 2014 के बीच 79 परीक्षाएं आयोजित कराई थी. इंदौर पुलिस ने 20 मुन्नाभाई को गिरफ्तार कर घोटाले का पर्दाफाश किया था. जांच के दौरान परत दर परत खुलती गई और घोटाले में रसूखदार और नेताओं के नाम सामने आने लगे.


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