उज्जैन: महाकाल की नगरी उज्जैन (Ujjain) की पुण्य सलिला शिप्रा (Shipra) नदी में डूबने से हुई मौतों के बाद जिला प्रशासन (District Administration) ने नदी के जलस्तर को ही नीचे उतार दिया. इसके बाद अब नदी की दुर्दशा साफ तौर पर नजर आ रही है. श्रद्धालु नदी में स्नान तो दूर आचमन करने से भी पीछे हट रहे हैं. उज्जैन के उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी में स्नान ध्यान करने के लिए देशभर के श्रद्धालु आते हैं. शिप्रा नदी के किनारे 12 साल में एक बार सिंहस्थ महापर्व (कुंभ) का भी आयोजन होता है. शिप्रा नदी में डुबकी लगाने के दौरान कई बार हादसे भी हो चुके हैं. यहां पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं होने की वजह से 1 माह में चार लोगों की डूबने से मौत हो चुकी है. शिप्रा नदी में हो रहा है बार-बार हादसों को देखते हुए उज्जैन के कलेक्टर आशीष सिंह ने नदी का जलस्तर 4 फीट नीचे करने के निर्देश जारी किए थे.
कितना घटाया गया शिप्रा का जलस्तर
कलेक्टर के निर्देश पर नदी के जलस्तर को 5 से 6 फीट तक नीचे उतार दिया गया. अब नदी में डूबने की घटना है तो खत्म हो गई है लेकिन नदी में दिखाई दे रही गंदगी से श्रद्धालु खासे परेशान हैं. गुजरात से आए अमित उपाध्याय ने बताया कि शिप्रा नदी का शास्त्रों में काफी उल्लेख वर्णित है, लेकिन वर्तमान परिस्थिति में जल स्नान और आचमन करने योग्य नहीं है. राजगढ़ से आए एक श्रद्धालु विनीत सिंह ने बताया सरकार को नदी की स्वच्छता और साफ पानी के लिए तुरंत आवश्यक कदम उठाने चाहिए.
बारिश का हो रहा है इंतजार
मध्य प्रदेश में मानसून ने भले ही दस्तक दे दी हो, लेकिन उज्जैन और आसपास के इलाके में भी पानी नहीं बरस रहा है. इस वजह से शिप्रा नदी का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है. जिला प्रशासन और पंडे-पुजारियों को बारिश का इंतजार है. उम्मीद की जा रही है कि बारिश के पानी से एक बार फिर शिप्रा नदी में नया पानी भर जाएगा. इससे श्रद्धालुओं की शिकायत दूर हो जाएगी.
कलेक्टर आशीष सिंह के मुताबिक जलस्तर कम करने का उद्देश्य लोगों की सुरक्षा है लेकिन उनकी सुविधा का भी ध्यान रखा जा रहा है.
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