MP News: भारत में 70 साल बाद बसाए गए चीता प्रोजेक्ट पर वेब सीरीज बनने जा रही है. इसकी सभी अनुमतियां पूरी हो गई है, अब जल्द ही शूटिंग की शुरुआत होने जा रही है. यह वेब सीरीज दुनिया के 170 देशों में प्रसारित की जाएगी.चीता प्रोजेक्ट पर वेब सीरीज को लेकर एनटीसीए ने मंजूरी दे दी है.



इस वेब सीरीज की शूटिंग कूनो नेशनल पार्क और मंदसौर पार्क में होगी, जिसे लेकर मप्र वन विभाग ने भी अनुमति दे दी है. वेबसीरिज का निर्माण मेसर्स शेन फिल्म्स एंड प्लाटिंग प्रॉडक्शन्स द्वारा किया जाएगा. यह वेब सीरीज चार भागों में बनेगी.

70 साल बाद कैसे बसाए चीते
इस वेब सीरीज में फिल्माया जाएगा कि 70 साल बाद भारत में फिर से चीते कैसे बसाए गए. इस वेब सीरीज की शूटिंग 17 सितंबर से शुरू होने की उम्मीद है. बता दें 17 सितंबर को चीता प्रोजेक्ट को दो साल पूरे हो जाएंगे. यी वेब सीरीज डिस्कवरी नेटवर्क पर 170 देशों में विभिन्न भाषाओं में प्रसारित की जाएगी, जिससे लोग चीता पुनर्वास के पीछे की मेहनत को समझ सकें.


भविष्य की अपेक्षाओं को उजागर करना है फिल्म का उद्देश्य
पीटीआई द्वारा देखे गए प्रस्ताव के मुताबिक, वेब सीरीज डिस्कवरी नेटवर्क पर 170 देशों में अलग-अलग भाषाओं में प्रसारित की जाएगी. फिल्म का उद्देश्य प्रोजेक्ट चीता की अवधारणा, जानवर को भारत वापस लाने में किए गए संघर्ष, चीतों की स्थिति और भविष्य की अपेक्षाओं को उजागर करना है.


एमपी टाइगर फाउंडेशन से भी किया है संपर्क 
प्रस्ताव में कहा गया है कि लक्ष्य लोगों को "इस विशाल परियोजना की बारीकियों को समझाना" है. रचनाकारों, जिन्होंने पहले एनटीसीए और भारतीय वन्यजीव संस्थान के साथ सहयोग किया है, ने परियोजना के कार्यान्वयन के लिए धन सुरक्षित करने में सहायता के लिए 'मध्य प्रदेश पर्यटन' और एमपी टाइगर फाउंडेशन से भी संपर्क किया है.


एक अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा, "हालांकि वित्तीय सहायता संभव नहीं है, हम निर्देशानुसार वेब श्रृंखला के फिल्मांकन के लिए पूरा समर्थन देंगे." भोपाल स्थित वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने "डॉक्यूमेंट्री" को फिल्माने की जल्दबाजी पर सवाल उठाते हुए कहा कि परियोजना को "कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जिन्हें पहले संबोधित किया जाना चाहिए".


उन्होंने वेब सीरीज को फिल्माने की अनुमति देने की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाया, यह देखते हुए कि रिकॉर्ड परियोजना की प्रगति की निगरानी और समीक्षा करने और इसके कार्यान्वयन पर एमपी वन विभाग और एनटीसीए को सलाह देने के लिए पिछले साल मई में गठित चीता परियोजना संचालन समिति का संकेत देते हैं. आगे उन्होंने कहा''इस मुद्दे पर कभी चर्चा नहीं की''.


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