MP News: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के गांव पारंडसिंगा में एक संस्था देसी सीड (बीज) बैंक चला रही है. इसके जरिये स्वदेशी बीजों का संरक्षण करने और उनका इस्तेमाल कर कई तरह के उत्पाद बनाने का काम किया जा रहा है. इस काम से कई महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है. वे आत्मनिर्भर बन रही हैं.
देसी सीड बैंक की डायरेक्टर श्वेता भत्तड़ ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, ''हम बीजों का संग्रह करने और वितरण का काम करते हैं. हम स्वदेशी बीजों को संरक्षित करते हैं और उनका इस्तेमाल करके बनाई गई सीड बॉल, कैलेंडर, पटाखे और राखी बेचते हैं, जिससे महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलती है.''
महाराष्ट्र की सीमा से सटे मध्य प्रदेश के इस गांव में श्वेता भत्तड़ और उनके कुछ सहयोगी गैर सरकारी संगठन (NGO) चलाते हैं. जिसके तहत ये लोग स्वदेशी चीजों के प्रचार प्रसार को लेकर कई तरह के काम करते हैं. इनके इस काम से गांव के कई लोगों को रोजगार भी मिला हुआ है, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं.
''इस सीड बैंक के कारण महंगे बीज नहीं खरीदने पड़ते''
देसी सीड बैंक की एक और सदस्य मिलसागर ने बताया, ''इस सीड बैंक के कारण हमें महंगे बीज नहीं खरीदने पड़ते हैं. हम अच्छी तरह बचाकर रखे गए बीजों का आदान-प्रदान करते हैं और बाद में उन्हें अपने बगीचों और छतों पर लगाते हैं. हम कई उत्पाद भी बेचते हैं जो इन बीजों का इस्तेमाल करके बनाए जाते हैं.''
बता दें कि हाल में 'मिट्टी बचाओ' नामक एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रासायनिक कीटनाशक रहित कृषि करने और मिट्टी के जीवों और नमी को बचाए रखने पर जोर दिया था. पारंडसिंगा में चलाई जा देसी बीज बैंक से जैविक खेती की दिशा में लोगों को प्रेरणा मिल सकती है.