Madhya Pradesh News: कहते हैं वो घर घर नहीं होता जहां कोई बुजुर्ग नहीं रहता, क्योंकि घरों में बुजुर्गों से ही रौनक होती है. वहीं मौजूदा हालातों में माता-पिता अपने बच्चों के जन्म से लेकर उनके पूरे जीवन काल में उनकी आवश्यकताएं पूरी करने के लिए अपना जीवन और पूरी कमाई झोंक देते है. वहीं बच्चे समझदार और सक्षम होने के बाद अपने बुजुर्ग माता-पिता को बोझ समझ कर बेसहारा छोड़ देते हैं. ऐसे ही बेसहारा बुजुर्गों का सहारा बना है. इंदौर और मध्य प्रदेश का एक मात्र निराश्रित आश्रम जो बेसहारा बुजुर्गों की देख-भाल तो कर ही रहा है लेकिन उन्हें अपने परिवार और रिश्तों की कमी का अहसास भी नहीं होने दे रहा. इसके लिए परिवार और मांगलिक अवसरों पर जाने और आयोजकों से उनकी परिवार की तरह ही उनकी खातिरदारी करवा रहा है.


2014 से चल रहा आश्रम
वहीं निराश्रित आश्रम के संचालक यश पाराशर के अनुसार अगर आपके घर में कोई बुजुर्ग नहीं है और आपके घर में कोई मांगलिक कार्यक्रम हो और आपको बुजुर्ग की कमी खल रही है तो आपके लिए ये आश्रम इंदौर में प्रदेश का एक मात्र आश्रम है. जो 2014 से संचालित हो रहा है और यहां 39 बेसहारा बुजुर्ग रहते हैं. साथ ही इस आश्रम को वृद्धा आश्रम ना कहकर निराश्रित आश्रम इसलिए कहा जाता है, क्यों कि यहां रहने वाला हर एक बुजुर्ग या तो प्रशासन के माध्यम से आया है या फिर सड़कों पर बेसहारा घूमने के बाद लाया गया है. यहां उन्हें सभी सुविधाए निः शुल्क दी जाती है. यही वजह है कि इस आश्रम को निराश्रित आश्रम कहा जाता है.


शादियों में बुलाते हैं लोग
अब इस आश्रम में रहने वाले किसी भी बुजुर्ग को अपने परिवार की कमी का अहसास ना हो इसके लिए आश्रम द्वारा मांगलिक अवसरों पर बुजुर्गों को आयोजकों की मांग पर वहां भेजा जा रहा है. यही वजह है कि 5 नवम्बर को शहर में हुई एक वधु की शादी में उसे आशीर्वाद देने के लिए उसके कोई बड़े बुजुर्ग नही थे. इसके चलते वधु पक्ष के द्वारा इन बुजुर्गो को आमंत्रण भेजा गया था. इसके बाद निराश्रित आश्रम के बुजुर्गों  ने उनके विवाह के मांगलिक अवसर पर पहुंच कर वर-वधु को आशीर्वाद दिया. वहीं वधु पक्ष ने उनकी बहुत अच्छे से खातिरदारी भी की. यही वजह है कि इन बुर्जुगों को वहां जो स्नेह, प्यार और सम्मान मिला है उसके बाद ये सभी बहुत खुश हैं.


सम्मान मिलने से आई चेहरे पर खुशी
वहीं शादी के मौके पर शामिल होकर दूल्हा-दुल्हन को आशीर्वाद देकर आने वाले नूर मोहम्मद खान ने बताया की जिस तरह उन्हें उनके परिवार से बेदखल कर दिया गया वहीं आज उनका यह निराश्रित आश्रम ही उनका परिवार है. जिस तरह उन्हें शादी में बुलाकर वह मान सम्मान दिया गया जिसे उन्हें उनके परिवार द्वारा दिया जाना चाहिए था. परिवार के अलग होने के बाद कई सालों बाद उन्हें चौहान परिवार द्वारा शादी के अवसर पर बुलवाया गया था और उनसे कहा गया है की शादी के बाद भी हम आपसे मिलने आते रहेंगे. इस तरह एक लड़की शादी के बाद अपने परिवार से मिलने मायके आती है. परिवार जैसा ही शादी में माहौल मिला जिससे वह अभिभूत हैं.  


गौरतलब है की आज देश भर में वृद्धा आश्रमों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. जो कहीं ना कहीं आज की पीढ़ी पर कई सवाल खड़े करते हुए दिखाई देती है. वहीं इंदौर के इस आश्रम में रहने वाले बेसहारा बुजुर्गों को यहां परिवार से मिलने वाला सभी तरह का सुख मिल रहा है. तो वहीं ऐसे लोग जिनके घर में बड़े बुजुर्ग नहीं है उन्ंहे इन बेसहारा बुजुर्गो का प्यार और आशीर्वाद लेने का सौभाग्य भी प्राप्त हो रहा है.



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