MP Nikay Chunav 2022: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर (Jabalpur) में नगर सत्ता के संग्राम में इस बार बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी है. नगर निकाय में 18 साल बाद सत्ता गंवाने वाली बीजेपी (BJP) में अब मतभेद भी खुलकर सामने आ रहे हैं. बीजेपी के पदाधिकारी हार का ठीकरा एक-दूसरे के सिर फोड़ रहे हैं. हालात यह बन गए हैं कि बंद कमरों की लड़ाई अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खुलकर लड़ी जा रही है. इस लड़ाई की शुरुआत हुई जबलपुर के पूर्व महापौर प्रभात साहू (Prabhat Sahu) के एक सोशल मीडिया पोस्ट से. उन्होंने फेसबुक पर लिखा, "मीठा-मीठा गप कड़वा-कड़वा थू."

 

इसके बाद से ही बीजेपी के अंदर विद्रोह के स्वर मुखर होने लगे. जबलपुर की नगर सत्ता 18 साल बाद बीजेपी के हाथ से फिसल गई तो हार का ठीकरा बीजेपी के पदाधिकारी एक-दूसरे पर फोड़ने लगे. अक्सर बैठकों में उठने वाले विद्रोह के स्वर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खुलकर सामने आने लगे. जबलपुर के पूर्व महापौर प्रभात साहू और बीजेपी के नगर अध्यक्ष जी एस ठाकुर के बीच सोशल मीडिया पर ही घमासान छिड़ गया. पूर्व महापौर ने पोस्ट डाली, "मीठा-मीठा गप और कड़वा-कड़वा थू. डॉ जितेंद्र जामदार की हार का जिम्मेदार आखिरकार कौन होगा."



 


 

यह पोस्ट बीजेपी के नगर अध्यक्ष जीएस ठाकुर को नागवार गुजरी. उन्होंने इसे अपने ऊपर लेते हुए सोशल मीडिया पर ही पूर्व महापौर प्रभात साहू को खरी-खोटी सुना डाली. अब इस पोस्ट के बाद प्रभात साहू भी कहां चुप रहने वाले थे. उन्होंने भी खुद को बीजेपी का कार्यकर्ता बताते हुए हार की जिम्मेदारी नगर के पदाधिकारियों पर थोप दी. अब इस मामले पर दोनों पदाधिकारी मीडिया के सामने तो कुछ नहीं बोल रहे हैं, लेकिन बीजेपी विधायक अशोक रोहाणी का कहना है कि हार की समीक्षा की जा रही है, जो भी बात पदाधिकारियों के बीच हुई है, उसे पार्टी फोरम पर भी उठाया जाएगा.



 

सोशल मीडिया पर बीजेपी में छिड़ी जंग पर अब कांग्रेस जमकर चुटकियां ले रही हैं. कांग्रेस को बैठे-बिठाए बीजेपी पर निशाना साधने का एक मौका मिल गया है. कांग्रेस नेता सौरभ शर्मा का कहना है कि 18 साल बाद हुई हार को बीजेपी के पदाधिकारी पचा नहीं पा रहे हैं और इसलिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, लेकिन असली वजह जनता की बीजेपी से नाराजगी है. हालांकि, बीजेपी अनुशासन के लिए जानी जाती है. अमूमन बीजेपी के पदाधिकारी इस तरह की लड़ाई सोशल प्लेटफॉर्म पर नहीं लड़ते, लेकिन जबलपुर में हुई करारी हार के बाद जिम्मेदारी लेने कोई भी नेता तक सामने नहीं आया. कहा जा रहा है कि नेता एक-दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़ अपनी गलतियों को छिपाने में लगे हुए हैं.