MP Urban Body Election 2022: मध्य प्रदेश की राजनीति में सिंगरौली से हुई आप की एंट्री, क्या यह बीजेपी और कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी
MP News: मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण मतदान के दो जगहों के नतीजों ने चौंकाया. सिंगरौली से आम आदमी पार्टी ने एमपी की राजनीति में प्रवेश किया तो ग्वालियर के नतीजे ने सभी को चौंकाया.
MP Nagariy Nikay Chunav 2022 Results: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के नगरीय निकाय चुनाव (MP Urban Body Election 2022) के पहले चरण के परिणाम (First Phase Polling Results) रविवार को घोषित हुए. इन परिणामों ने चुनाव लड़ने वाले राजनीतिक दलों को जश्न मनाने के पर्याप्त कारण दिए हैं. इस चुनाव में दो नगर निगमों ग्वालियर (Gwalior Nagar Nigam) और सिंगरौली (Singrauli Nagar Nigam) के नतीजे चौंकाने वाले साबित हुए. आम आदमी पार्टी (AAP) ने सिंगरौली नगर निगम में मेयर (Mayor) का पद जीतकर मध्य प्रदेश में शानदार एंट्री मारी है. आप को पंजाब बाद यह बड़ी जीत मिली है, इससे पार्टी के हौंसले बुलंद हैं.
प्रदेश की राजनीति में अब तक केवल दो राष्ट्रीय दलों बीजेपी और कांग्रेस का बोलबाला रहा है. आप का प्रवेश निश्चित रूप से इन दो पुराने संगठनों के लिए खतरे की घंटी बजाएगा. सिंगरौली में आप की उम्मीदवार रानी अग्रवाल को 34,038 वोट मिले, जिन्होंने मेयर का चुनाव 9,000 से अधिक मतों के अंतर से जीता. बीजेपी के चंद्र प्रकाश विश्वकर्मा को 24,879 मत मिले और कांग्रेस के अरविंद चंदेल को 24,060 वोट मिले, जो कि क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे. पिछले चुनाव में सत्तारूढ़ बीजेपी ने सिंगरौली समेत 16 मेयर पदों पर जीत हासिल की थी.
आप के इतने उम्मीदवार नहीं दिखा सके कमाल
ये चुनाव परिणाम मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से लगभग 16 महीने पहले हुए हैं. इससे राज्य में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाले पार्टी कैडर का विश्वास बढ़ेगा. हालांकि, आप ने प्रदेश के 16 नगर निगमों में से 14 में मेयर प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन उसके उम्मीदवार अन्य सीटों पर अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रहे. रीवा संभाग के सीधी जिले के अंतर्गत आने वाले सिंगरौली को 2008 में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने नया जिला घोषित किया था. लगभग 60 प्रतिशत आदिवासी आबादी के साथ सिंगरौली कोयला खदानों और अन्य खनिजों का केंद्र है और मध्य प्रदेश में सबसे तेजी से बढ़ते शहरों में से एक है, जिसे अब 'भारत की ऊर्जा राजधानी' भी कहा जाता है.
ग्वालियर के मेयर चुनाव के परिणाम ने भी कई लोगों को चौंका दिया है. यहां कांग्रेस की शोभा सिकरवार ने बीजेपी की सुमन शर्मा को 26,000 से अधिक मतों से हराया. कांग्रेस की भावनाओं का अंदाजा पार्टी के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश के एक ट्वीट से लगाया जा सकता है, जिसमें कहा गया था, "ग्वालियर नगर निगम चुनाव में कांग्रेस की जीत से ज्यादा खुशी मुझे किसी ने नहीं दी. शानदार प्रदर्शन! बीजेपी यहां 'दुर्घटनाग्रस्त' हो गई है." राज्य बीजेपी नेतृत्व ने जहां 11 मेयर पदों में से सात पर पार्टी की जीत का जश्न मनाया (पांच नगर निगमों के नतीजे 20 जुलाई को घोषित किए जाएंगे), वहीं ग्वालियर में हार भगवा खेमे के लिए एक बड़ा झटका बनकर आई है.
ग्वालियर में बीजेपी की हार का कारण क्या है
ग्वालियर में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और सिंधिया के बीच असहमति की खबरों के बाद उम्मीदवार चयन एक मुद्दा बन गया, दोनों ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के दिग्गज हैं. दशकों तक राज्य की राजनीति को कवर करने वाले राजनीतिक पर्यवेक्षक और वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह ने कहा, ''ग्वालियर में बीजेपी की हार सिंधिया परिवार के आधिपत्य का परिणाम है. अगर सिंधिया को ग्वालियर की राजनीति में राजनीतिक निर्णय लेने में महत्व नहीं दिया जाता है तो यह परिवार किसी और को खड़ा नहीं होने देगा."
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