Madhya Pradesh News: देश के अंदर सरकारों के द्वारा शिक्षा के उन्नयन के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं. केंद्र सरकार हो या मध्य प्रदेश की राज्य सरकार दोनों ही शिक्षा की उन्नति और समृद्धि के लिए बड़े-बड़े बजट लांच करती आई है. इसके बावजूद आज भी कई सरकारी विद्यालय ऐसे हैं जो मूलभूत सुविधाओं से ही वंचित हैं. हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश के 66% ऐसे सरकारी प्राइमरी और मिडिल स्कूल हैं जिनमें बिजली की उपलब्धता नहीं है. इसके कारण इन विद्यालयों में स्मार्ट क्लास का संचालन नहीं किया जा सकता है.
राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा शिक्षा मंत्रालय को जारी एक रिपोर्ट का आंकड़ा
मध्य प्रदेश के अंदर लगभग 33000 ऐसे प्राइमरी और मिडिल स्कूल हैं जिनमें बिजली का कनेक्शन ही नहीं है. यदि कनेक्शन है भी तो अनियमितता या गड़बड़ी के चलते लाइट व्यवस्था दुरुस्त नहीं है. जिसके कारण बच्चों को स्मार्ट क्लास के अलावा भी जो मूलभूत सुविधाएं बिजली के माध्यम से मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पाती है. यह आंकड़ा स्वयं राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा शिक्षा मंत्रालय को जारी एक रिपोर्ट में निकल कर सामने आया है. इसके बाद राज्य शिक्षा केंद्र ने जिला कलेक्टरों को पत्र लिखकर इस समस्या को अति शीघ्र दूर करने की बात कही है.
जनप्रतिनिधि को बताने पर भी नहीं हुई लाइट की व्यवस्था
यदि ऐसा ही हाल चलता रहा तो मध्य प्रदेश के बच्चे किस प्रकार से शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति कर पाएंगे यह सोचने का विषय है. बीते दिनों कोविड-19 की लहर के दौरान ऑनलाइन शिक्षा का एक नया माध्यम भी बच्चों के सामने आया लेकिन जब शिक्षकगणों के पास संसाधन ही दुरुस्त नहीं होंगे तो वह बच्चों तक इस प्रकार की तकनीकी शिक्षा किस प्रकार मुहैया करा पाएंगे. इस मामले में राज्य शिक्षा संचालक धनराज ने बताया कि इन समस्याओं को जल्द ही ठीक किया जाएगा. इस संबंध में सभी जिला कलेक्टरों को पत्र लिखकर व्यवस्था को दुरुस्त करने की बात कही गई है.
इस पूरे मामले को लेकर स्कूलों की पड़ताल करने पर सिंहपुर का मिडिल स्कूल जो पहाड़ी पर स्थित है लेकिन बिजली नहीं है. बच्चे अंधेरे में पढ़ाई कर रहे हैं शिक्षक भी बिजली को लेकर चिंतित हैं. शिक्षकों और बच्चों ने कई बार अधिकारी जनप्रतिनिधि को बताया लेकिन आज तक स्कूलों में लाइट की कोई व्यवस्था नहीं की गई.
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