Madhya Pradesh News: महाराष्ट्र के ओबीसी को मध्य प्रदेश की सरकारी नौकरी में ओबीसी नहीं माना जायेगा. अपनी जाति में ही विवाह करके दूसरे राज्य से मध्य प्रदेश आने वाली एक महिला को इसी आधार पर आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया. अब आरक्षण की विसंगति से जुड़े मसले पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि अपनी जाति में विवाह कर दूसरे राज्य से मध्य प्रदेश आने वाली महिलाओं को आरक्षण का लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा है. जस्टिस एमएस भट्टी की एकलपीठ ने राज्य शासन सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. अगली सुनवाई जनवरी के अंतिम सप्ताह में तय की गई है.


क्या है पूरा मामला
कोर्ट ने इस मामले में अंतरिम आदेश के जरिए माध्यमिक शिक्षक की नियुक्ति को विचाराधीन याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन कर दिया है. बालाघाट निवासी अनीता लिल्हारे की ओर से अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह व रूप सिंह मरावी ने पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता का जन्म महाराष्ट्र के गोंदिया में हुआ था. साल 2014 में विवाह के उपरांत वह बालाघाट जिले की लांजी तहसील स्थित ससुराल आई. वह लोधी जाति की है और उसकी शादी भी लोधी जाति में हुई है, जिसे मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र में ओबीसी में शामिल किया गया है. इसके बावजूद उसे ओबीसी आरक्षण के लाभ से वंचित किया जा रहा है.


शिक्षक भर्ती आमान्य घोषित
वह वर्ष 2018 में माध्यमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा में शामिल हुई थीं. परीक्षा में वह उत्तीर्ण हुई, साथ ही 23 नवंबर 2022 को जिला शिक्षा अधिकारी, बालाघाट के समक्ष दस्तावेज सत्यापन के लिए पहुंची. इस दौरान उसे माध्यमिक शिक्षक भर्ती के लिए अमान्य घोषित कर दिया गया. तर्क यह दिया गया कि उसके पास मध्य प्रदेश के सक्षम अधिकारी का जाति प्रमाण पत्र नहीं है. जबकि, नियम यह कहता है कि माता-पिता के यहां का जन्म जाति प्रमाण पत्र जारी किया जा सकता है और उसने इसी आधार पर गोंदिया का जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था.



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