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MP Nursing College: एमपी में 453 नए नर्सिंग कॉलेज में से 94 किए गए बंद, बाकियों पर भी होगी कार्रवाई, हाईकोर्ट ने मांगा ब्यौरा
MP Nursing College: मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल को जबलपुर हाईकोर्ट में 23 अगस्त को बताना होगा कि प्रदेश में मापदंडों को पूरा न करने वाले कितने कॉलेजों को अब तक बंद किया गया है.
Jabalpur High Court on MP Nursing College: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में नियम के खिलाफ चल रहे नर्सिग कॉलेजों के फर्जीवाड़े पर जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) ने फिर सख्ती दिखाई है. गुरुवार को पूर्व में हाईकोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के मुताबिक मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल (MP Nursing Council) के रजिस्ट्रार ने शपथ पत्र पर अपना जवाब पेश किया. हाईकोर्ट में पेश किए गए जवाब के मुताबिक साल 2020-21 में खोले गए 94 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता नवीनीकरण आवेदन को निरस्त कर दिया गया है. इसके साथ ही बिना संसाधनों के संचालित हो रहे 149 कॉलेजों का अब तक जवाब नहीं आया है.
शपथ पत्र में दिए गए इस जवाब को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने पूछा है कि जिनके जवाब नहीं आए हैं, उनको अब तक क्यों नहीं बंद किया गया है? इस पर करवाई के लिए मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल ने 2 दिनों की मोहलत मांगी है. मामले पर अगली सुनवाई 23 अगस्त को नियत की गई है. अब मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल को 23 अगस्त को बताना होगा कि प्रदेश में मापदंडों को पूरा न करने वाले कितने कॉलेजों को अब तक बंद किया गया है.
लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ने दायर की है जनहित याचिका
चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस डीके पालीवाल की खंडपीठ ने जवाब को रिकॉर्ड पर लेकर अगली सुनवाई 23 अगस्त तक कार्रवाई कर ब्यौरा प्रस्तुत करने के निर्देश दिए. लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन जबलपुर के अध्यक्ष अधिवक्ता विशाल बघेल की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया कि राज्य में नियमों और मापदंडों का पालन किए बिना निजी नर्सिंग कॉलेजों का संचालन हो रहा है. गुरुवार को मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल की ओर से उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने कोर्ट के निर्देश पर युगलपीठ के समक्ष रजिस्ट्रार नर्सिंग काउंसिल का शपथ पत्र पेश किया.
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कॉलेजों के पास उपलब्ध संसाधन और बिल्डिंग आदि के बारे में मांगे गए थे जवाब
हाईकोर्ट के निर्देश पर दिनांक 10 मई 2022 को मान्यता सम्बंधी खामियों वाले नर्सिंग कॉलेजों को नोटिस जारी किए गए थे. इसमें इन कॉलेजों के पास उपलब्ध संसाधन, बिल्डिंग आदि के बारे में जवाब मांगा गया था. इनमें से 304 कॉलेजों ने ही जवाब दिए हैं, जिनका परीक्षण किया जा रहा है. याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि नर्सिंग काउंसिल ने अपने शपथ पत्र में सिर्फ पिछले वर्ष 2020-21 में खुले हुए कॉलेजों का उल्लेख किया गया है, जबकि याचिका के लम्बित रहने के दौरान वर्ष 2021-22 में भी नए अपात्र नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी गई है.
453 नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने में फर्जीवाड़े का लगा है आरोप
इस पर कोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल से यह भी पूछा कि याचिका लंबित रहने के दौरान कितने नए कॉलेजों को मान्यता जारी की गई है, यह भी बताएं. आपको बता दें कि जबलपुर की लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल ने प्रदेश के 453 नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने में फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इसमें कहा गया है कि कई नर्सिंग कॉलेज गाड़ियों के शोरूम और वर्कशॉप में चल रहे हैं. जिनमें न लैब-लाइब्रेरी है और न ही कॉलेज-हॉस्टल की बिल्डिंग है. याचिका में इस फर्जीवाड़े को प्रदेश के हेल्थ सेक्टर से खिलवाड़ बताया गया है.
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प्रफुल्ल सारडा,राजनीतिक विश्लेषक
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