(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
MP News: स्थानीय निकाय चुनाव में 27 फीसदी आरक्षण की मांग, पिछड़ा वर्ग महासभा 21 मई को बुलाया एमपी बंद
OBC Reservation: एमपी में ओबीसी का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन ने स्थानीय निकाय चुनाव में अपने समुदाय के लिए 27 फीसदी आरक्षण की मांग की है. इसे लेकर 21 मई को ‘‘मध्य प्रदेश बंद’’ का आह्वान किया है.
Madhya Pradesh News: अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन ने मध्य प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव में अपने समुदाय के लिए 27 फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर 21 मई को ‘मध्य प्रदेश बंद' की अपील की है. पिछड़ा वर्ग महासभा ने ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तीन दिन बाद यह आह्वान किया है. शीर्ष अदालत ने मंगलवार को राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) को मध्य प्रदेश में ओबीसी कोटा के बिना दो सप्ताह के भीतर स्थानीय निकाय के चुनावों को अधिसूचित करने का निर्देश दिया था.
समाधान नहीं होने पर शुरू होगा आंदोलन
न्यायालय ने कहा कि 2010 के संविधान पीठ के फैसले में जिस त्रि-परीक्षण प्रक्रिया का जिक्र किया गया है उसे जब तक पूरा नहीं कर लिया जाता, तब तक ओबीसी समुदाय के लिए किसी आरक्षण का प्रावधान नहीं किया जा सकता. पिछड़ा वर्ग महासभा के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह लोधी ने कहा, ''अगर 21 मई के बंद के बाद भी प्रदेश सरकार हमारी चिंताओं का समाधान नहीं करती है तो एक शक्तिशाली राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा.''
राकेश सिंह लोधी ने कही ये बात
लोधी ने आगे कहा कि मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार और विपक्ष ने ओबीसी समुदाय के लिए 27 फीसदी आरक्षण के प्रावधान के साथ त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव कराने के वास्ते 23 दिसंबर 2021 को विधानसभा में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था.
उन्होंने आरोप लगाया कि लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रदेश सरकार ओबीसी समुदाय को लोकतांत्रिक प्रक्रिया से दूर रख रही है. लोधी ने कहा कि अब प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी दल कांग्रेस ओबीसी समुदाय को उनके टिकट आवंटन में 27 फीसदी आरक्षण देने का वादा कर रहे हैं.
शीर्ष अदालत ने कही थी ये बात
उन्होंने सवाल किया, ''जब केंद्र और राज्य में बीजेपी की ‘डबल इंजन’ वाली सरकार है तो संसद के माध्यम से ओबीसी कोटा (त्रि-स्तरीय स्थानीय चुनाव में) को वैध बनाने के प्रयास क्यों नहीं किए जा रहे हैं?’’ मालूम हो कि शीर्ष अदालत ने मंगलवार को अपने आदेश में कहा था कि मध्य प्रदेश के 23,000 से अधिक स्थानीय निकायों में चुनाव लंबित हैं.
न्यायालय ने कहा था कि चुनाव प्रक्रिया में देरी नहीं की जा सकती, क्योंकि पांच साल की अवधि समाप्त होने पर अवरोध की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी और समय पर चुनाव कराना प्राधिकारियों का संवैधानिक दायित्व है.
ये भी पढ़ें-
MP News: विधानसभा चुनाव के लिए अलग-अलग जिलों का घोषणा पत्र जारी करेगी कांग्रेस, ये है रणनीति