पंचायत चुनाव पर रोक की मांग संबंधी हाई काेर्ट में दायर इस याचिका में भी आरक्षण और परिसीमन का मुद्दा उठाया गया था. हाई कोर्ट ने याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए राज्य सरकार और मध्य प्रदेश निर्वाचन आईजी को नोटिस जारी किया है. कांग्रेस नेता सैयद जाफर और जया ठाकुर की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया लेकिन राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में रोटेशन के आधार पर आरक्षण प्रक्रिया का पालन न करने का मुद्दा उठाया था. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुयश ठाकुर ने बहस के दौरान कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने पंचायत चुनाव कराने के लिए संवैधानिक तरीका नहीं अपनाया है. सरकार 2014 आरक्षण और परिसीमन के आधार पर मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव कराने जा रही है जो कि पूरी तरीके से असंवैधानिक है. रोटेशन प्रक्रिया हर चुनाव में अपनाना संवैधानिक रूप से बेहद जरूरी है, क्योंकि इससे ही समाज के हर वर्ग, जाति विशेष के लोगों को चुनाव में उतरने का मौका मिलता है.
वर्तमान सरकार ने कमलनाथ सरकार के दौरान साल 2019 में कराए गए परिसीमन एवं आरक्षण की प्रक्रिया को रद्द करते हुए 7 साल पुराने सिस्टम से मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव कराने के निर्णय लिया है. हाई कोर्ट ने याचिका के तमाम तर्कों को सुनने के बाद साफ कहा कि एक बार राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव प्रक्रिया शुरू कर देता है तो हाई कोर्ट उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता है. लिहाजा चुनाव प्रक्रिया पर हाई कोर्ट रोक नहीं लगा सकता लेकिन हाई कोर्ट ने इस मामले पर राज्य सरकार और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी कर दिया है, वहीं याचिकाकर्ता सैयद जाफर का कहना है कि भले ही उन्हें हाई कोर्ट से अंतरिम राहत न मिली हो लेकिन अब इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.
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