MP Panchayat Chunav: चुनाव जितना छोटा हो उतना ही खर्चीला होता है. यह बात तो कई बार सुनने को मिल गई होगी लेकिन अशोकनगर जिले के भटोली ग्राम पंचायत में सटीक भी साबित हो रही है. यहां निर्विरोध सरपंच बनने के लिए 44 लाख रुपये की बोली लगा दी गई. इस राशि पर ग्रामीण भी तैयार हो गए और मध्य प्रदेश का पहला सरपंच चुन लिया गया. मध्य प्रदेश में कोरोना की वजह से पहले ही पंचायतो चुनाव देरी से हो रहे हैं. चुनाव को लेकर अभी से अजब-गजब किस्से भी सुनने को मिल रहे हैं.


चंदेरी जनपद के अंतर्गत आने वाली भटोली ग्राम पंचायत में राधा कृष्ण मंदिर का जीर्णोद्धार होना बाकी है. ग्रामीणों ने पंचायत चुनाव को लेकर सरपंच चुनने की एक अलग ही रणनीति बनाई. ग्रामीणों ने राधा कृष्ण मंदिर में सभी संभावित उम्मीदवारों को बुला लिया. इसके बाद उनसे सरपंच पद की बोली लगवाई गई. इस दौरान 21 लाख रुपये से बोली की शुरुआत हुई. जब एक दावेदार ने 21 लाख रुपये की बोली लगाई तो दूसरे ने 2500000 रुपये लगा कर सभी को चौंका दिया. इसके बाद बोली लगाने का सिलसिला शुरू हुआ और आखिरकार 44 लाख रुपये पर जाकर खत्म हुआ.


गांव के ही सौभाग्य सिंह ने 44 लाख रुपये की राशि देने का एलान कर ग्रामीणों का दिल जीतने के साथ-साथ निर्विरोध चुनाव भी जीत लिया. दरअसल ग्रामीण इस राशि को मंदिर के जीर्णोद्धार पर खर्च करने की बात कह रहे हैं. हालांकि प्रशासनिक अधिकारी पूरे मामले में अनभिज्ञता जाहिर कर रहे हैं. उनका कहना है कि ऐसे निर्विरोध सरपंच चुनाव के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली है. दूसरी तरफ सौभाग्य सिंह ने इस बात को स्वीकारा कि गांव में पंचायत चुनाव को लेकर किसी प्रकार का मतभेद नहीं है. ग्रामीणों ने निर्विरोध ही अपना सरपंच उन्हें चुन लिया है.


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निर्विरोध चुनाव के लिए 4 दावेदारों ने लगाई बोली


इस प्रक्रिया से मंदिर का जीर्णोद्धार भी हो जाएगा और आपस में चुनाव की हार जीत को लेकर रंजिश भी पैदा नहीं होगी. सबसे ज्यादा 44 लाख की बोली लगाने वाले सौभाग्य सिंह ने बताया कि चार दावेदार बोली लगाने के लिए राधा कृष्ण मंदिर में पहुंचे थे. राधा कृष्ण मंदिर में ग्राम पंचायत के प्रत्येक घर के 1-2 सदस्य मौजूद थे. संपूर्ण ग्रामीणों की भावना के अनुरूप मंदिर पर चुनाव हो गए. सौभाग्य सिंह के अनुसार अगर सर्वसम्मति से चुनाव नहीं होते तो फिर राजनीति के चलते ग्रामीणों में हमेशा मतभेद बने रहते हैं. इसके अलावा चुनाव में जीतने के लिए प्रत्याशियों की धन की बर्बादी भी होती है.