मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान की कैबिनेट ने पंचायत राज और ग्राम स्वराज अध्यादेश 2021 को वापस लेने का प्रस्ताव पारित किया था. इसे राज्यपाल की मंजूरी मिल गई है. राज्यपाल कार्यालय ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है. अब इसे राज्य निर्वाचन आयोग को भेजा जाएगा. चुनाव रद्द करने का फैसला आयोग को लेना है. राज्य में तीन चरण में पंचायत चुनाव होने थे. लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर विवाद हो गया था. यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. आइए जानते हैं कि मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव में अबतक क्या-क्या हुआ है. 


शिवराज चौहान सरकार का अध्यादेश


मध्य प्रदेश सरकार ने 21 नवंबर को पंचायत राज और ग्राम स्वराज अध्यादेश 2021 को मंजूरी दी. इसके तहत सरकार ने 2019 के परिसीमन को रद्द कर 2014 के परिसीमन के आधार पर पंचायत चुनाव कराने का फैसला किया. इससे आरक्षण व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हुआ.


सरकार की इस पहल पर कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पंचायत चुनाव में रोटेशन का पालन नहीं हो रहा है. इसके विरोध में कांग्रेस ने हाईकोर्ट का रुख किया. लेकिन हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. इसके बाद कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. देश की शीर्ष अदालत ने आरक्षण के मुद्दे पर सरकार को फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी सीटों पर चुनाव स्थगित कर दिया. 


पंचायत राज और ग्राम स्वराज अध्यादेश 2021 विधानसभा के 5 दिन के शीतकालीन सत्र में कानून नहीं बन पाया. इस वजह से वह अपने आप निरस्त हो गया. साल 2019 का परिसीमन कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के आदेश पर हुआ था.


पंचायत चुनाव में आरक्षण का प्रावधान


मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 20 फीसदी, अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 16 फीसदी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 14 फीसद आरक्षण का प्रावधान है. शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने पंचायत चुनाव में ओबीसी के लिए 27 फीसद सीटें आरक्षित कर दी थीं. इससे कुल आरक्षण की सीमा 50 फीसद से अधिक हो गई. इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर को ओबीसी सीटों पर चुनाव पर रोक दिया था. अदालत ने आरक्षित सीटों पर फिर से नोटिफिकेशन जारी करने को कहा था. 


सुप्रीम कोर्ट का आदेश


सुप्रीम कोर्ट के आदेश में महाराष्ट्र मामले में दिए अपने आदेश का जिक्र है. इसमें आरक्षण से पहले ट्रिपल टेस्ट की शर्तें लगाई गई हैं. इन शर्तों में राज्य में ओबीसी आयोग के गठन करने को कहा गया है. यह आयोग राज्य में ओबीसी की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का अध्ययन करेगा. इसी अध्ययन के आधार पर आरक्षण की सीमा तय होगी. आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से अधिक नहीं होगी. 


सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार और विपक्ष ने विधानसभा में एक संकल्प प्रस्ताव पारित किया. इसमें ओबीसी आरक्षण के साथ पंचायत चुनाव कराने की बात है. यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया.  देश में ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे और कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ने के बीच पंचायत चुनाव पर रोक लगाने की मांग भी उठने लगी. यह मांग करने वालों में राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र भी थे. शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने रविवार को कैबिनेट की बैठक में पंचायत चुनाव पर रोक का प्रस्ताव पास कर दिया. कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है.