MP News: मध्य प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को लगा करंट, दाम बढ़ाने को मिली मंजूरी, जानें नई कीमतें
Electricity Rate In MP: मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए नई बिजली दरों का एलान कर दिया है. इसके बाद प्रति यूनिट बिजली 8 पैसे से लेकर 12 पैसे तक महंगी हो जाएगी.
MP Electricity Rate Hiked: कमर तोड़ती महंगाई के बीच मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की जनता को बिजली के बिल का भी जोरदार करंट लगा है. मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए नई बिजली दरों का एलान कर दिया है. विद्युत नियामक आयोग ने आदेश जारी करते हुए मध्य प्रदेश में बिजली की दर प्रति यूनिट 2.64% बढ़ाने की मंजूरी दी है, हालांकि बिजली कंपनियों ने मध्य प्रदेश में बिजली की दर 8.71% बढ़ाने की मांग की थी. बिजली की नई दरें इसी माह से लागू हो सकती है.
मध्य प्रदेश की तीनों बिजली कंपनियों की ओर से विद्युत नियामक आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई याचिकाओं में करीब 3916 करोड़ रुपए का घाटा दर्शाया गया था, जिसकी भरपाई के लिए प्रति यूनिट 8.71% की बढ़ोतरी की मांग की गई थी. विद्युत नियामक आयोग ने केवल 1181 करोड़ रुपये का घाटा ही मंजूर किया हैं.
8 पैसे से लेकर 12 पैसे प्रति यूनिट महंगी होगी बिजली
विद्युत नियामक आयोग के द्वारा जारी किए गए आदेश के मुताबिक करीब 71 आपत्तियों का निराकरण किया गया है और उसके बाद बिजली दरों की बढ़ोतरी पर फैसला लिया है. मध्य प्रदेश में नई विद्युत दरों के मुताबिक प्रति यूनिट बिजली 8 पैसे से लेकर 12 पैसे तक महंगी हो जाएगी. वही फिक्स चार्ज भी 5 से लेकर 12 रुपए तक महंगा बढ़ा दिया गया है. नई बिजली दरों का असर सबसे ज्यादा मध्यमवर्गीय परिवारों पर पड़ेगा, जिनकी बिजली खपत 50 यूनिट से लेकर 300 यूनिट तक की रहती है.
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बिजली की नई दर (प्रति यूनिट)
50 यूनिट- 4.13 रुपये से बढ़कर 4.21 रुपये
51-150 यूनिट- 5.5 रुपये से बढ़कर 5.17 रुपये
151-300 यूनिट- 6.45 रुपये से बढ़कर 6.74 रुपये
300 यूनिट- 6.65 रुपये से बढ़कर 6.74 रुपये
बिजली के जानकार और आपत्तिकर्ता राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि विद्युत नियामक आयोग ने बिजली की दरों को बढ़ाकर आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ा दिया है, जिसका तमाम आपत्तिकर्ता विरोध करते हैं. इसके साथ ही विद्युत नियामक आयोग के द्वारा जारी किए गए आदेश से साफ होता है कि उन्होंने सभी आपत्तियों का निराकरण नहीं किया है क्योंकि अभी भी न्यूनतम ऊर्जा शुल्क वसूली जा रही है, जो की पूरी तरह नियमों के विरुद्ध है. आने वाले समय में इसको कोर्ट में चुनौती दी जाएगी.