MP News: मध्य प्रदेश में अपराधों की रोकथाम बिना अवैध हथियारों की सप्लाई और खरीद-फरोख्त पर लगाम लगाए नहीं हो सकती. कुछ जिलों में आज भी अवैध हथियार धड़ल्ले से बनाए और बेचे जा रहे हैं. अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त की कई मंडी मध्य प्रदेश के बड़े शहरों में भी संचालित है. डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना के निर्देश पर अभियान चलाकर 10 हजार बदमाशों पर अलग-अलग प्रकार की कार्रवाई हुई.


मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव को 1 साल का समय बचा है. ऐसी स्थिति में पुलिस और प्रशासन अपराधों के मामले में जीरो टॉलरेंस नीति पर काम करने की कोशिश कर रहा है. अपराधों की रोकथाम के लिए आवश्यक कदम भी उठाए जा रहे हैं. बदमाशों पर भी लगाम कसी जा रही है.


मध्य प्रदेश में बढ़ रहे अपराधों के पीछे सबसे महत्वपूर्ण कारण अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त है. कई जिलों में आज भी अवैध हथियारों की छोटी फैक्ट्री संचालित हो रही है. सिकलीगर समुदाय छोटे-छोटे कारखानों में अवैध हथियार बना रहे हैं. खरगोन, बड़वानी, बुरहानपुर जिले अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त और निर्माण से जुड़े रहने के कारण चर्चा में रहे हैं.


अवैध हथियारों पर महंगाई का असर नहीं


एक अपराधी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि अवैध हथियारों का धंधा छोड़ चुका है. लेकिन जब अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त में शामिल था, उस समय सिकलीगर के संपर्क में रहता था. उसने बताया कि अवैध हथियारों की डिमांड मध्यप्रदेश के कई शहरों से आती है. सिकलीगर समुदाय के कई एजेंट अवैध हथियारों की सप्लाई करते हैं. 12 बोर से लेकर 315 बोर का देसी कट्टा पांच हजार से 15 हजार रुपए तक में मिल जाता है. पिछले 10 वर्षों से कीमत में बदलाव नहीं आया है. महंगाई का भी अवैध हथियारों पर असर नहीं पड़ा है. 


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पुलिस क्यों नहीं उठाती है ठोस कदम?


उज्जैन एसएसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ला के मुताबिक अवैध हथियारों की धरपकड़ के लिए अभियान चलते रहता है. अभी भी माफिया अभियान के साथ अवैध हथियारों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है. अवैध हथियारों की उपलब्धता और खरीद-फरोख्त की सूचना पर अलग से टीम जांच करती है. जिस जिले से हथियार उपलब्ध होने का जिक्र आता है, वहां के पुलिस अधिकारियों को भी पत्र लिखकर सूचना दी जाती है.