MP News: मध्य प्रदेश के रीवा जिले में लगातार रेलवे ट्रैक, ब्रिज और नेशनल हाइवे पर टाइम बम रखकर दहशत फैलाने वाले तीन आरोपियों को पुलिस ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से गिरफ्तार कर लिया है. रीवा पुलिस ने मामले का खुलासा करते हुए बताया कि गिरोह का मुख्य आरोपी मैकेनिकल इंजीनियर है, जिसकी मिर्गी के कथित दौरों के बाद नौकरी छूट गई थी. सूचना मिलने पर रीवा पुलिस की जांच टीम प्रयागराज के लिए भेजी गई है, जहां आरोपियों को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी. रीवा के एसपी नवनीत भसीन ने बताया कि जहां भी बम रखे गए थे, सभी नकली थे.
ऐसे हुए गिरफ्तार
बता दें कि नकली बम रखने के मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में कुल 13 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं. कई दिनों से ही पुलिस आरोपियों की तलाश में जुटी थी. पुलिस के मुताबिक पकड़े गए आरोपी वही हैं, जिन्होंने पिछले दिनों नकली बम के साथ एक पत्र छोड़कर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को भी मारने की धमकी भी दी थी. इस मामले में यूपी पुलिस को भी आरोपियों की तलाश थी. एसपी भसीन ने बताया कि बम रखने की पहली घटना के बाद से ही पुलिस ने आरोपियों की धड़पकड़ तेज कर दी थी. मध्य प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश पुलिस सहित इंटेलिजेंस की टीम भी दिन रात लगी हुई थी. पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई कर तीन आरोपियों को प्रयागराज जिला स्थित मेजा से गिरफ्तार किया है. उन्होंने बताया कि आरोपियों ने रीवा के सोहागी थाना क्षेत्र सहित अन्य स्थानों पर 10 दिनों के अंदर 5 जगह नकली(डमी) बम रखे थे, जिससे मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में हड़कंप मचा हुआ था.
मैकेनिकल इंजीनियरिंग है मुख्य आरोपी
पुलिस अधीक्षक नवनीत भसीन ने खुलासा करते हुए बताया कि घटना को अंजाम देने वाला मुख्य आरोपी मेजा निवासी प्रकाश सिंह सोमवंशी ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. उसे मिर्गी की बीमारी थी और इसी बीमारी के चलते उसकी नौकरी चली गई थी. नौकरी जाने से नाराज होकर उसने बम लगाने की तरकीब खोजी ताकि सरकार सिस्टम को डराया जा सके. इसके लिए उसने राम तीरथ हरिजन निवासी मेजा जिला प्रयागराज और दिवेश दुबे उर्फ दीपक निवासी गंगानगर जिला मेरठ को भी अपने साथ मिलाया. रीवा के सुहागी थाना क्षेत्र के जिस ओवर ब्रिज के नीचे आरोपियों ने पहला डमी बम रखा था, वे वहां लगे सीसीटीवी कैमरे की नजर में आ गए थे. पुलिस ने जांच शुरू की तो डायल 100 वाहन में तैनात कर्मचारियों को एक सिल्वर रंग की संदिग्ध सेंट्रो कार दिखी. अंधेरा होने के कारण वह नंबर तो नहीं देख सके लेकिन डीएल (DL)लिखा देख लिया था. इसके अलावा कुछ अन्य लोगों ने पुलिस की मदद करते हुए बताया कि गाड़ी के नंबर में 14 भी लिखा था. जिसके बाद पुलिस इन्हीं चार शब्दों और साइबर टीम की मदद से सभी आरोपियों तक पहुंच गई.
2015 से दे रहे थे वारदात को अंजाम
पुलिस के मुताबिक टाइमर सहित डमी बम की घटनाओं को आरोपी 2015 से अंजाम दे रहे थे. उन्होंने इसी साल जनवरी में रीवा के सोहागी थाना क्षेत्र के नेशनल हाइवे 30 पर ओवर ब्रिज के नीचे टाइम बम प्लांट कर खलबली मचा दी थी. उसके बाद गणतंत्र दिवस पर मनगवां में टाइम बम रखे होने की सूचना मिली थी, जिसे पुलिस ने बम स्क्वाड की मदद से डिफ्यूज किया था. इस घटना के एक घंटे बाद ही मनगवां थाना क्षेत्र के गंगेव चौकी में एक दूसरे ओवर ब्रिज के नीचे बम होने की सूचना मिली थी. वहीं रीवा को वाराणसी से जोड़ने वाले मऊगंज हाइवे पर ओवर ब्रिज के नीचे भी डमी बम मिलने से हड़कंप मच गया था. आरोपी यहीं नहीं रूके इसके ठीक दूसरे दिन ही मऊगंज के ही नेशनल हाइवे में सड़क किनारे बम की तरह दिखाई देने वाला खाली खोखा फेंक कर दहशत फैलाई थी.
पुलिस के मुताबिक आरोपियों ने महानगरी एक्सप्रेस ट्रेन सहित अलग-अलग 13 स्थानों पर डमी बम लगाए थे. इन्होंने पहली बार 28 जनवरी 2016 में 11094 महानगरी एक्सप्रेस (मानिकपुर में), 04 फरवरी 2016 में मेजा यूपी, 13 मार्च 2016 मेजा यूपी, मार्च 2017 में संगम एक्सप्रेस ट्रेन (हापुड़ के पास मेरठ), 08 जनवरी 2022 नैनी प्रयागराज, 13 जनवरी 22 सिरसा मेजा, 16 जनवरी मेजा ओवर ब्रिज, 21 जनवरी सोहागी, 26 जनवरी गंगेव, 26 जनवरी मनगवां, 29 जनवरी मऊगंज और 02 फरवरी मेजा यूपी में डमी बम रख कर दहशत फैलाई. पुलिस ने इन पर 10 हजार का इनाम घोषित कर रखा था.
एसपी भसीन के मुताबिक शुरुआती पूछताछ में आरोपियों ने बताया है कि यह लोग भ्रष्टाचार और समाज में फैली गंदगी के बारे में अपनी बात को सामने रखना चाहते थे. इनका मानना था कि ऐसा करने से इनकी बात को ज्यादा जोर मिलेगा. आरोपियों के कब्जे से डमी बम बनाने की सामग्री के साथ इलेक्ट्रॉनिक सर्किट, मदर बोर्ड, पेंट, टेप, एल्युमीनियम तार, इलेक्ट्रानिक घड़ी भी मिली है.
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