MP News: मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरी के लिए होने वाली सभी परीक्षाएं कानूनी दांव-पेंच में उलझ रही हैं. नियमों का सही ढंग से पालन न होने की वजह से आवेदक अदालत का दरवाजा खटखटा रहे हैं और वहां से नियुक्तियों को अदालत के फैसले के अधीन किया जा रहा है. ताजा मामला मध्य प्रदेश पुलिस आरक्षक परीक्षा से जुड़ा है. एमपी हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश पुलिस आरक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को याचिका के अंतिम फैसले के अधीन रखा है. 


जस्टिस एमएस भट्टी की सिंगल बेंच ने रिटायर्ड सैन्य कर्मियों की याचिका पर राज्य सरकार और प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मामले पर अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी.


पुलिस आरक्षक के 6 हजार पदों पर होना है चयन
जबलपुर निवासी अश्वनी शुक्ला समेत प्रदेश के अलग-अलग जिलों के 24 से ज्यादा सेवानिवृत्त फौजियों ने याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि व्यावसायिक परीक्षा मंडल (PEB) उनके लिए निर्धारित आरक्षण को दरकिनार कर पुलिस आरक्षक के पदों पर चयन प्रक्रिया पूर्ण कर रही है. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता नरिन्दरपाल सिंह रूपराह ने बताया कि प्रदेश में 6 हजार पुलिस आरक्षक के पदों पर चयन होना है. इनमें से 601 पद एक्स-सर्विसमैन के लिए आरक्षित हैं. 


आरोप: भूतपूर्व सैनिकों के पद दूसरे वर्गों को आवंटित किए गए
अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि इस कैटेगरी के केवल 4 अभ्यर्थियों का ही चयन हुआ है. नियमानुसार रिक्तियों के पांच गुना उम्मीदवारों को द्वितीय चरण के लिए बुलाना चाहिए था, जबकि 600 पदों के लिए मात्र 6 उम्मीदवारों को ही बुलाया गया, जो कि अवैधानिक है. अदालत में दलील दी गई कि भूतपूर्व सैनिकों के पद दूसरे वर्गों को आवंटित नहीं किये जा सकते. कोर्ट ने नोटिस जारी कर 15 दिसंबर को अगली सुनवाई निर्धारित की है.


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