MP Politics: मंत्री उषा ठाकुर के बयान पर कांग्रेस सचिव ने किया पलटवार, कहा- समाज को भड़काने का प्रयास
Madhya Pradesh News: मंत्री उषा ठाकुर द्वारा बलात्कारियों की सजा को लेकर दिये बयान पर प्रदेश कांग्रेस सचिव ने अपनी प्रतिक्रिया दी. जानें उनके बयान के जवाब में उन्होंने क्या कहा?
MP News: मध्य प्रदेश कैबिनेट मंत्री उषा ठाकुर द्वारा बलात्कारियों को शरेबाजार फांसी दिए जाने और मानव अधिकार जाए भाड़ में वाले बयान को प्रदेश कांग्रेस सचिव ने तालिबानी पाठ बताया. कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव ने अपना वीडियो जारी करते हुए मंत्री उषा ठाकुर सहित मुख्यमंत्री को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि प्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर तालिबानी संस्कृति का पाठ पढ़ा रही हैं. वह यह खुलेआम बोल रही हैं कि फांसी चौराहे पर होनी चाहिए और लाशों को चील कव्वों को खाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस देश में कानून व्यवस्था है और कानून व्यवस्था के तहत न्याय होना चाहिए जो एक न्यायिक प्रक्रिया है. निश्चित तौर पर बलात्कार के दोषी-दोषियों को सख्त सजा होना चाहिए और सरकार द्वारा यह प्रावधान भी किए गए हैं.
तालिबानी परंपरा यहां कायम हो जाएगी
कांग्रेस प्रदेश सचिव ने कहा कि किसी भी समाज में आग के बदले आग और आंख के बदले आंख, ऐसी परंपरा रहेगी तो भारतीय परंपरा नष्ट हो जाएगी और तालिबानी परंपरा यहां कायम हो जाएगी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चाहिए कि मंत्री की जुबान पर लगाम लगाएं इस तरह की बातें समाज में अपराध के बढ़ाने की दिशा में बढ़ता हुआ कदम है. उन्होंने कहा कि ऐसे बयान हिंसा फैलाने की दिशा में बढ़ता हुआ कदम है और समाज को भड़काने का प्रयास है. कांग्रेस प्रदेश सचिव ने कहा कि निश्चित तौर पर बलात्कारियों को फांसी की सजा होना चाहिए लेकिन जो मानव अधिकार के नियम हैं वह उसकी भी धज्जियां उड़ा रही हैं. मंत्री ने बयान दिया था कि मानव अधिकार जाए भाड़ में इस बयान पर उन्होंने कहा कि इस तरह की एक मंत्री के शब्द मंत्री की गरिमा को समाप्त करते हैं.
बता दें कि मंत्री उषा ठाकुर इंदौर के महू में एक कार्यक्रम में लोगों को संबोधित कर रही थी जहां अपने संबोधन में उन्होंने कहा था कि हस्ताक्षर अभियान में शामिल होकर मुख्यमंत्री से मांग की थी. उन्होंने कहा था कि बलात्कारियों को सरे बाजार में फांसी दिया जाना चाहिए. इनका अंतिम संस्कार नहीं होना चाहिए भाड़ में जाए मानव अधिकार आयोग ऐसे नरपिशाचों का कोई मानव अधिकार नहीं होना चाहिए, तब जाकर कोई भी बेटियों की तरफ देखने में सोचेगा.