MP News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) ने एक पत्र राज्य के राज्यपाल मंगूभाई पटेल (Mangubhai C Patel) के नाम लिखा है. इस पत्र में दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) के विधानसभा क्षेत्र बुदनी (Budhni) में 100 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया है. पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने राज्यपाल मंगूभाई पटेल से इस मामले की जांच ईओडब्लूएस से से कराने की मांग की है.
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने राज्यपाल के नाम लिखे पत्र में बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र बुधनी में हुए 100 करोड़ रुपये से अधिक के गेहूं भंडारण घोटाले की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करा रहा हूं. इस घोटाले में दिलचस्प यह है कि सत्ताधारी दल के करीबी वेयर हाउस मालिकों को लाखों रुपये का फायदा पहुंचाने की गरज में करोड़ों रुपये के गेहूं को घुन जाने तक गोदामों में रखा रहने दिया गया. फिर वहां से हटवाकर शासकीय गोदामों में पटक दिया गया. मेरी मांग है कि लोकायुक्त या ईओडब्ल्यू से इस करोड़ों रुपये के गेहूं घोटाले की जांच कराई जाए.
40 हजार टन गेहूं में लगा घुन
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने लिखे पत्र में बताया कि बुधनी क्षेत्र के दौरे के दौरान मुझे स्थानीय किसानों ने बताया कि वर्ष 2017-18 से लेकर 2020-21 के बीच चार वर्षों में स्थानीय सहकारी समितियों द्वारा बकतरा, आमोन, जहानपुर क्षेत्र के 8 गोदामों में करीब 66 हजार टन गेहूं समितियों के माध्यम से खरीदकर जमा कराया था. ये सभी गोडाउन मुख्यमंत्री के करीबी लोगों के बताए गए हैं. उनका गृह गांव जैत भी इन गांवों के बीच स्थित है. विगत वर्षो में 26 हजार टन गेहूं तो पीडीएस के माध्यम से बांटे जाने के लिये वितरित कर दिया गया, लेकिन 40 हजार टन गेहूं गोडाउन में ही रखा रहने दिया गया, जिसमें देखरेख के अभाव में घुन लग गया.
उच्च स्तरीय दबाव में रहे अफसर
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कहा कि बुधनी क्षेत्र के किसान बताते हैं कि गोडाउन मालिकों को सतत किराया मिलता रहे इसलिये नागरिक आपूर्ति निगम और भारतीय खाद्य निगम के आला अधिकारियों ने उच्च स्तर से दबाव के चलते 100 करोड़ रुपये से अधिक कीमत का गेहूं निजी गोडाउन से उठाया ही नहीं. किराया घोटाला करने के चक्कर में गेहूं को घुन लगने दिया गया, जबकि निजी गोडाउन मालिकों को इस गेहूं की देख-रेख करनी थी. गेहूं संधारण के लिए उन्हें 85 रुपये प्रति टन प्रतिमाह का किराया दिया जाता है. गेहूं खराब होने की जिम्मेदारी संबंधित गोडाउन मालिक की मानी जाती है और उसी मान से उसके किराये में कटौती करने का नियम है.
बुदनी से हटाकर रायसेन किया शिफ्ट
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के अनुसार इस घोटाले के जानकारों का कहना है कि जब 100 करोड़ रुपये कीमत का 40 हजार टन गेहूं में घुन लग गया तो उसे उच्च स्तरीय दबाव में उठाकर रायसेन जिले की औबेदुल्लागंज तहसील के ग्राम नूरगंज और दिवाटिया स्थित वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के गोडाउन में लाकर रख दिया गया. यह निर्णय भी उच्च स्तर से निर्देशों के बाद लिया गया, ताकि घुने गेहूं की जवाबदारी से प्रभावशाली गोडाउन संचालकों को बचाया जा सके और उन्हें 4.5 साल के किराये का करीब 17 करोड़ रुपये दिया जा सके और घुने गेहूं की जवाबदारी वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन पर थोपी जा सके. इस बीच घुने हुये 40 हजार टन गेहूं सीहोर जिले के बुधनी क्षेत्र से उठाकर औबेदुल्लागंज तक पहुंचाने में भी किसी अनिल चौहान नामक व्यक्ति से परिवहन कराया गया और उसे भी कुछ करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, यह व्यक्ति मुख्यमंत्री का निकटतम रिश्तेदार बताया जा रहा है. अंतत: यह घुना और आटा बन रहा गेहूं नूरगंज और दिवटिया के शासकीय वेयर हाउसों में पहुंचा दिया गया. इस तरह बुधनी विधानसभा क्षेत्र में निजी गोडाउन मालिकों को गेहूं घुन जाने के आरोपों और संभावित किराये की कटौती और पेनाल्टी से बचा लिया गया.
दिग्विजय सिंह के अनुसार, इस तरह ’घुन घोटाला’ वेयर हाउसिंग के सिर पर आ गया. जब भारतीय खाद्य निगम ने घुना गेहूं लेने से मना कर दिया और नागरिक आपूर्ति निगम ने भी सफाई करके देने से इंकार कर दिया. यह सब जिम्मेदारी वेयर हाउसिंग पर डाल दी गई, अब वेयर हाउसिंग इस 100 करोड़ रुपये के घुने गेहूं की सफाई करने का टेंडर जारी करने वाला है. अभी यह तय नहीं हुआ है कि कितना गेहूं घुन गया है और आटे में तब्दील हो गया है.
केन्द्र और राज्य सरकार की एजेंसी शामिल
दिग्विजय सिंह ने बताया कि यह मामला मुख्यमंत्री की विधानसभा बुधनी से संबंधित है, जिसमें केन्द्र और राज्य सरकार की सरकारी एजेंसी शामिल है, जिन गोडाउन संचालकों को करोड़ों रुपये का किराया दिया गया है, वे सब मुख्यमंत्री के गांव जैत के समीपवर्ती गांवों के रहने वाले हैं. यह जांच का विषय है कि शीर्ष स्तर से दबाव में पहले तो समय पर गेहूं के उठाव करने की जगह घुन जाने के लिये कई सालों तक रखा रहने दिया गया. फिर करोड़ों रुपये का किराया देकर घुना गेहूं नूरगंज और दिवटिया स्थित शासकीय एजेंसी के मत्थे मढ़ दिया गया है.
पूर्व सीएम ने दी बिन्दूवार जानकारी
1. सीहोर जिले के बकतरा क्षेत्र के वेयर हाउस में वर्ष 2017.18, 2018.19, 2019.20 और 2020.21 तक गेहूं को 4.5 वर्ष इसलिये रखा गया ताकि सत्ता के शीर्ष ठिकाने से जुड़े वेयर हाउस मालिकों को लाखों रुपये का किराया दिया जा सके, ये गोडाउन किन प्रभावशील लोगों के हैए यह जांच का विषय है.
2. 34000 मीट्रिक टन गेंहूं में जब कीड़े लग गये तो चुपचाप से उसे मप्र वेयर हाउस के ओबेदुल्लागंज तहसील में स्थित दिवटिया और नूरगंज के गोदामों में भेज दिया गया.
3. गेहूं को बकतरा से दिवटिया अथवा नूरगंज इसलिये भेजा गया ताकि कीड़े लगने से जो नुकसान हुआ उसकी वसूली बकतरा के वेयर हाउस मालिकों से न की जाये और उन्हें लाखों रुपये किराये में दिये जा सके.
4. बकतरा से नूरगंजए दिवटिया तक का परिवहन आपके परिचित अनिल चौहान ने किया इसमें भी कराड़ों रुपये की राशि की हेराफेरी की गई, जबकि घुने गेहूं के परिवहन की कोई जरूरत ही नही थी.
5. सरकारी समितियों से गेहूं खरीदी के 8 से 10 माह में गेहूं या तो एफसीआई उठाव कराती है या सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से उचित मूल्य की दुकानों से लक्षित परिवारों को बांटा जाता है. इस घोटाले के लिये समय पर न तो संबंधित और जिम्मेदार एजेंसियों ने उठाया न ही गरीबों को वितरित किया.
6. अतिरिक्त खाद्यान का स्टॉक होने पर नीलामी की जाती है परन्तु यहां 4-5 वर्षो तक जानबूझ कर गेहूं इसलिये रखा गया ताकि उसकी राजनैतिक संरक्षण रखने वाले गोदाम मालिकों को एक-एक गोदाम में 40.50 लाख रुपये से अधिक की धनराशि किराये में मिल सके.
लोकायुक्त से कराई जाए जांच
दिग्विजय सिंह लिखा कि चूंकि यह घुना गेहूं घोटाला बुधनी विधानसभा और मुख्यमंत्री के गृह ग्राम जैत के समीपवर्ती क्षेत्रों से जुड़ा है, इसलिये मामला ओर गंभीर हो जाता है. आपको इस मामले की निष्पक्ष जांच करानी चाहिये, वैसे भी इस मामले में गेहूं खरीदी करने वाली एजेंसी से लेकर नागरिक आपूर्ति निगम और मप्र वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के उच्च अधिकारी सीधे तौर पर पत्राचार से लेकर निर्णय लेने तक की प्रक्रिया में शामिल हैं. मेरा स्पष्ट कहना है कि यह मामला बुधनी विधानसभा क्षेत्र से जुड़ा होने के कारण अति संवेदनशील है. एक कार्यक्रम के दौरान गोदाम मालिकों ने उनसे बचाने की गुहार भी लगाई थी. इसलिये 100 करोड़ रुपये के गेहूं घुन घोटाले की या तो लोकायुक्त से जांच कराई जाए या राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरों को जांच के लिये सौंप दिया जाए.