जबलपुर: मकर संक्रांति के बाद मोदी और शिवराज दोनों के ही कैबिनेट में फेरबदल की चर्चा है. जहां मोदी सरकार में मध्य प्रदेश से अधिक प्रतिनिधित्व मिलने की बात कही जा रही है,वहीं,चर्चा इस बात की भी है कि इस फेरबदल को देखने के बाद ही शिवराज अपने कैबिनेट सहयोगियों के चेहरे बदलेंगे.कहा जा रहा है कि केंद्र और राज्य दोनों ही जगहों की सरकारों में बदलाव 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए किए जाएंगे.
पहले बात करते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम की. माना जा रहा है कि मकर संक्रांति यानी 15 जनवरी के बाद कभी भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल हो सकता है. इसमें नवंबर 2023 में मध्य प्रदेश सहित कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उन राज्यों का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जाएगा.वही,कई मंत्री 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए संगठन में भेजे जा सकते हैं.
क्या होगा मंत्री बनाए जाने का पैमाना
वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र दुबे का कहना है कि जातीय समीकरण के हिसाब से मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक के कुछ सांसदों को मोदी कैबिनेट में मौका मिल सकता है.प्रभावशाली ओबीसी और आदिवासी चेहरों पर फोकस किया जा सकता है. इससे 2023 के विधानसभा चुनाव में इस वर्ग के वोटर को लुभाया जा सके.इसके लिए भोपाल से लेकर दिल्ली तक संगठन और सरकार में लॉबिंग की चर्चाएं हैं.मोदी कैबिनेट में दिल्ली एमसीडी और हिमाचल की विधानसभा चुनाव में हार कुछ खास चेहरों को भारी पड़ सकती है. वहीं, गुजरात में जीत का पुरस्कार कुछ सांसदों को मिल सकता है.राजनीतिक जानकार कहते हैं कि कौन मंत्रिमंडल में रहेगा,कौन बाहर जाएगा और किस नए चेहरे को मौका मिलेगा? यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही तय करेंगे.
वहीं अगर शिवराज मंत्रिमंडल की बात करें तो इसमें फेरबदल केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार के बाद ही होने की बात कही जा रही है.इसमें क्षेत्रीय और जातीय संतुलन को साधने पर सबसे बड़ा फोकस रहेगा.महाकौशल और विंध्य क्षेत्र को शिवराज मंत्रिमंडल में उचित स्थान नहीं मिला है.इससे इन क्षेत्रों में सरकार के खिलाफ बड़ी नाराजगी है.इसी नाराजगी को कम करने के लिहाज से इन क्षेत्रों को कैबिनेट में प्रतिनिधित्व देने की बात कहीं जा रही है.
विधानसभा चुनाव के परिणामों का असर
मध्य प्रदेश में लंबे समय से सरकार में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें लगाई जा रही थीं. गुजरात में बीजेपी की बंपर जीत के बाद एक बार फिर 'गुजरात मॉडल' पर अगले सभी विधानसभा चुनाव लड़ने की बात चल पड़ी है.गुजरात मॉडल क्या है? इस सवाल पर जबलपुर के वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र दुबे कहते है कि फिल्मों के घिसे-पिटे पुराने एक्टर की जगह नए चेहरे को नेतृत्व देना ही गुजरात मॉडल है.बीजेपी ने पहले उत्तरांचल और फिर गुजरात में यह प्रयोग करके सफलता प्राप्त की थी.अब यही फार्मूला सबसे पहले मध्य प्रदेश में मंत्रीमंडल में फेरबदल के दौरान लागू हो सकता है.शिवराज केबिनेट के कई दागी चेहरों की छुट्टी हो सकती है.
सरकार के आखिरी साल के इस मौके को कोई भी दावेदार विधायक छोड़ना नहीं चाहता है.इसीलिए भोपाल से लेकर दिल्ली तक फील्डिंग जमाई जा रही है.वैसे,माना जा रहा है कि इस फेरबदल में संगठन और शिवराज की पसंद वाले विधायक ही केबिनेट में जगह पाएंगे.शिवराज सिंह चौहान सरकार का तीसरा मंत्रिमंडल विस्तार जनवरी के तीसरे पखवाड़े में हो सकता है.इसमें 10 से 12 नए चेहरे मंत्रिमंडल में शामिल होंगे.वर्तमान में मुख्यमंत्री को मिलाकर कैबिनेट में 31 सदस्य हैं.चार पद रिक्त हैं.इन चार पदों के साथ नॉन परफॉर्मेंस वाले मंत्रियों को बदला जा सकता है.हाल ही में हुई दो कोर कमेटियों में इस पर सहमति बन गई है,क्योंकि कुछ मंत्रियों की शिकायतें भी कोर कमेटी तक पहुंची हैं.
कौन हैं नए दावेदार
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि एससी से भोपाल के विष्णु खत्री और जतारा से हरीशंकर खटीक का नाम मंत्री मंडल में शामिल होने वाले विधायकों में संभावित है.ब्राह्मण कोटे से अभी नरोत्तम मिश्रा और गोपाल भार्गव मंत्री हैं,नया नाम रीवा से राजेंद्र शुक्ला व शरदेंदु तिवारी, कटनी से संजय सत्येंद्र पाठक और भोपाल से रामेश्वर शर्मा हो सकते हैं.ओबीसी से मनोज चौधरी व महेंद्र हार्डिया के साथ एसटी से सुलोचना रावत और जनरल केटेगरी में चेतन कश्यप का नाम संभावित है.जबलपुर से अशोक रोहाणी का नाम भी चर्चा में है.
इन मंत्रियों की हो सकती है छुट्टी
मौजूदा कैबिनेट के छह मंत्रियों पर सत्ता और संगठन दोनों की नजर है.इसमें बुंदेलखंड के दो,मालवा-निमाड़ से एक, ग्वालियर संभाग के एक, मध्य भारत से एक और विंध्य से एक मंत्री शामिल हैं.
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