(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
MP News: दुर्घटनाओं को टालने के लिए रात भर डटे रहते हैं रेलवे कर्मचारी, जानिये- कैसे काम करते हैं गैंगमैन
Indian Railway News: रात 12 बजे से सुबह 6 बजे तक लगभग 20 से 24 किलोमीटर ट्रैक पर पैदल चलते हैं. सर्दी के दिनों में लोहा सिकुड़ता है, ऐसी स्थिति में रेलवे की पटरी ऊपर क्रेक आने की संभावना बढ़ जाती है.
MP Railway News: सर्दी के दिनों में पीठ पर झोला टांग कर रेलवे के कर्मचारी रात 12 बजे से सुबह 6 बजे तक लगभग 20 से 24 किलोमीटर ट्रैक पर पैदल चलते हैं. इस दौरान उन्हें जान का जोखिम भी उठाना पड़ता है. यह पेट्रोलिंग रेलवे दुर्घटनाओं को टालने में कई बार कारगर साबित हुई है. खास बात यह है कि ठंड के दिनों में ही रेलवे विभाग के कर्मचारी रोज ट्रैक पर उतरते हैं.
सर्दी में लोहा सिकुड़ता है
सर्दी के दिनों में लोहा सिकुड़ता है, ऐसी स्थिति में रेलवे की पटरी ऊपर क्रेक आने की संभावना बढ़ जाती है. इसी आशंका के चलते रेलवे विभाग द्वारा सर्दी के दिनों में अलग रणनीति के तहत पेट्रोलिंग करवाई जाती है. पश्चिमी रेलवे के रतलाम मंडल के जनसंपर्क अधिकारी खेमराज मीणा ने बताया कि दो स्टेशन के बीच निर्धारित बिंदुओं पर रेलवे विभाग के गैंगमैन पेट्रोलिंग करते हैं.
रात्रिकालीन गश्त में दोनों ही कर्मचारी विपरीत दिशा में निकल पड़ते हैं. इस दौरान 4 से 5 किलोमीटर का सफर तय कर आपस में मिल जाते हैं. इस दौरान उनके पास एक बैग रहता है जिसमें रेलवे ट्रैक को दुरुस्त करने में आवश्यक उपकरण मौजूद रहते हैं.
रेलवे विभाग द्वारा ऐतिहात के तौर पर रात्रि कालीन गश्त करवाई जाती है. गैंगमैन के अलावा अधिकारियों द्वारा भी लगातार मानिटरिंग कर चेकिंग अभियान भी चलाया जाता है. जो कर्मचारी अपने कर्तव्य के प्रति सजग नहीं रहता है उसके खिलाफ कार्रवाई भी होती है.
गले में रहती है जीपीएस की घड़ी
रेलवे के कर्मचारी हाथ में हैमर, कंधे पर बैग और गले में जीपीएस की घड़ी लटका कर पेट्रोलिंग के लिए निकलते हैं. पाटरियों को कई स्थानों पर ठोक बजाकर देखा जाता है. पेट्रोलिंग गश्त में मौजूद कर्मचारी के पास 14 अलग-अलग प्रकार के उपकरण रहते हैं. इनमें टॉर्च, सीटी, बैग सहित अन्य सामान शामिल रहता है.
जूते और कोर्ट मुहैया कराता है रेलवे विभाग
रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी खेमराज मीणा ने बताया कि पेट्रोलिंग के स्तर को लेकर रेलवे विभाग द्वारा कर्मचारियों को सुविधा दी जाती है. इसके तहत कर्मचारियों को जूते, समरकोट भी मुहैया कराया जाता है. इसके अलावा बड़े अधिकारी भी कर्मचारियों के सतत संपर्क में रहते हैं. बताया जाता है कि एक कर्मचारी रेल यात्रियों की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए रात भर में 20 से 24 किलोमीटर तक पैदल चलता है.