KP Yadav Latest News: मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए बीजेपी ने जॉर्ज कुरियन को अपना उम्मीदवार बनाया और उन्होंने बुधवार (21 अगस्त) को अपना नामांकन पत्र भी भर दिया. इससे कई बीजेपी के नेताओं को झटका लगा है, लेकिन इस रेस में सबसे आगे गुना के पूर्व सांसद केपी यादव का नाम है. चर्चा है कि अमित शाह के ख्याल रखने के वादे के बाद भी केपी यादव से लोकसभा में सांसदी छिन गई और राज्यसभा की राह में भी ब्रेक लग गया.
सूत्रों का कहना है कि पार्टी के इस फैसले से केपी यादव निराश हैं. हालांकि, अभी वह पूरी तरह से चुप हैं. दरअसल, पूर्व सांसद केपी यादव का नाम उस समय चर्चा में आया था, जब उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर उस समय के कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को हरा दिया था. फिलहाल बाद में सिंधिया बीजेपी में शामिल हो गए.
लोकसभा चुनाव में भी कटा था टिकट
वहीं सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद लोकसभा चुनाव 2024 में पार्टी ने गुना से सांसद केपी यादव का टिकट काटकर ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रत्याशी बना दिया. उस समय बीजेपी आलाकमान ने केपी यादव के राजनैतिक पुनर्वास का आश्वासन दिया था, लेकिन उसे अभी तक पूरा नहीं किया गया है. वहीं गुना से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब राज्यसभा की सीट से इस्तीफा दिया तो केपी यादव की उम्मीदें फिर जगीं.
बीजेपी नेताओं ने क्या कहा?
पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए उनका लोकसभा का टिकट कटा था और अब उनकी ही राज्यसभा सीट पर उन्हें मौका मिलना स्वाभाविक था. फिलहाल प्रदेश के राजनैतिक गलियारों में तो यही चर्चा थी. हालांकि, ऐसा हुआ नहीं और केपी यादव के सपनों पर एक बार फिर पानी फिर गया. अगर पार्टी सूत्रों की मानें तो केपी यादव को राज्यसभा सीट के लिए उम्मीदवार बनाने के संबंध में कोई वादा नहीं किया गया था. हकीकत तो यह है कि प्रदेश बीजेपी से जो दो नाम दिल्ली भेजे गए थे उनमें केपी यादव का नाम नहीं था.
बताया जा रहा है कि केपी यादव को भी इसकी जानकारी थी. बीजेपी नेताओं का यह भी कहना है कि पार्टी केपी यादव को यूं ही दरकिनार नहीं करेगी. उनके लिए कुछ न कुछ जरूर सोचा गया होगा. बता दें केपी यादव का अभी तक राजनैतिक सफर बेहद दिलचस्प रहा है. वह कांग्रेस में थे और ज्योतिरादित्य सिंधिया के काफी करीबी भी थे. टिकट न मिलने पर उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और बीजेपी में आ गए.