मध्य प्रदेश की सियासत में उमा भारती ने लगाया धार्मिक और सामाजिक आंदोलन का तड़का, क्या हैं मायने?
उमा भारती की बढ़ती सक्रियता को सियासी चश्मे से देखने वालों का मानना है कि कुछ तो बात है. उमा भारती को राष्ट्रीय स्तर से भी किसी का जरूर साथ मिला होगा. राज्य से चुनाव लड़ना ही चाहती हैं.
MP News: मध्य प्रदेश की पूर्व सीएम और बीजेपी की फायर ब्रांड नेता उमा भारती की गृह राज्य में एक बार फिर सक्रियता बढ़ गई है. उनकी सक्रियता के सियासी मायने खोजे जाने लगे हैं क्योंकि उन्होंने वर्ष 2024 का चुनाव लड़ने की घोषणा पहले ही कर दिया है. मध्य प्रदेश में बीजेपी की 2003 में सरकार बनाने में उमा भारती की महत्वपूर्ण भूमिका थी. मगर राजनीतिक हालात के चलते ज्यादा दिन तक राज्य की मुख्यमंत्री नहीं रह पाई.
उन्होंने जनशक्ति पार्टी बनाई और समीकरण ऐसे बने कि उनका राज्य की राजनीति में दखल लगातार कम होता गया. बीजेपी में वापसी तो हो गई, मगर उन्हें मध्य प्रदेश छोड़कर उत्तर प्रदेश की राजनीति में प्रवेश करने को मजबूर होना पड़ा. उमा भारती ने उत्तर प्रदेश से लोकसभा और विधानसभा का चुनाव लड़ा और निर्वाचित भी हुई. लेकिन वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया और खुद को गंगा स्वच्छता अभियान में लगाने की बात कही. अब राजनीतिक मैदान में सक्रियता की इच्छा जताई है और पूर्व में कई बार कह 2024 का चुनाव लड़ने की तैयारी का एलान कर चुकी हैं.
धार्मिक और सामाजिक आंदोलन का तड़का
उमा भारती की चुनावी राजनीति में प्रवेश की घोषणा, फिर मध्य प्रदेश में शराबबंदी के लिए अभियान की शुरूआत, उन्होंने शराब दुकान पर पत्थर तक चलाए. अब रायसेन जिले में सोमेश्वर महादेव के मंदिर में जल चढ़ाने की अनुमति न मिलने और ताला न खुलने की स्थिति में उमा भारती ने अन्न त्याग की घोषणा कर दी है. इन दो मामलों के जरिए उमा राज्य में सक्रियता बढ़ाने के संकेत दे रही हैं. कुल मिलाकर सियासी तौर पर देखा जाए तो उमा भारती ने मध्य प्रदेश की राजनीति में पूरी तरह सक्रिय होने का मन बना लिया है और इसकी शुरूआत उन्होंने एक तरफ जहां सामाजिक (शराबबंदी) तो दूसरी तरफ धार्मिक आंदोलन (सोमेश्वर मंदिर का ताला खुलवाने) के जरिए की है.
उमा भारती के आंदोलन को मिल रही शह
जानकारों का मानना है कि इन दोनों अभियानों से उन्हें उम्मीद है कि आधी आबादी के साथ समाज में शांति चाहने वाले और धार्मिक मान्यताओं में आस्था रखने वालों का भरपूर साथ मिलेगा. लिहाजा आने वाले दिनों में उनकी सक्रियता और तेज हो सकती है. उमा भारती की बढ़ती सक्रियता को सियासी चश्मे से देखने वालों का मानना है कि कुछ तो बात है. इसके पीछे खास सियासी योजना होगी. राज्य से चुनाव तो लड़ना ही चाहती हैं, साथ ही सीएम शिवराज सिंह चौहान पर दबाव भी बनाना चाहती हैं. सीएम पर दबाव बनाने की वजह भी है क्योंकि उमा भारती के बड़े विरोधियों में गिनती चौहान की होती है. इतना ही नहीं, इन अभियानों पर उमा भारती को राष्ट्रीय स्तर से भी किसी का जरूर साथ मिला होगा.