Saffron Cultivation In Indore: इंदौर की एक दंपत्ति ने इंदौर में तैयार किया कश्मीर का सोना कही जाने वाली फसल केसर के लाखों पौधे उगाए हैं. केसर की खेती ठंडे प्रदेशों खासकर कश्मीर में ही की जा सकती है, क्योंकि केसर की खेती के लिए जो अनुकूलित वातावरण की आवश्यकता होती है, वह ठंडे प्रदेशों में ही होता है.
दरअसल इंदौर की साईं कृपा कॉलोनी में रहने वाली एक जायसवाल दंपत्ति कुछ महीने पहले जम्मू-कश्मीर घूमने के लिए गए थे, जहां उन्होंने फूलों के लहलहाते हुए खेत देखे थे. जिन्हें देखने के बाद जब उन्होंने उन फूलों के बारे में जानकारी ली तब उन्हें पता चला कि ये केसर के फूल हैं. यहां पर केसर की खेती की जाती है. वहीं से इस दंपत्ति ने प्रेरणा लेकर इंदौर में केसर की फसल लगाने का दृढ़ संकल्प लिया और आज उसे सच साबित करके भी दिखा दिया है.
केसर की खेती करने वाले अनिल जायसवाल ने बताया कि 320 वर्ग फिट के कमरे में केसर की खेती का बुनियादी ढांचा तैयार करने में उन्हें करीब 6.50 लाख रुपए की लागत आई. एक टन बीज (बल्ब) कश्मीर के पम्पोर से मंगाए गए.पहले उनका फैलाव कर आर्गेनिक तरह से उसकी देख रख कर उन्हे एरोपोनिक्स पद्धति से बनाए अपने मकान की पहली मंजिल पर ग्रीन हाउस में प्लास्टिक की ट्रे में रखा. सितम्बर महीने लगाए गए थे.
27 अक्टूबर को पहला फूल आया ओर पौधे को मूर्त रूप दिया जो लहलहाती फसल के रूप में सामने आई. अब उन्हें इस मौसम में 1.50 से दो किलोग्राम केसर प्राप्त करने की उम्मीद है. वे खेती पूरी तरह जैविक है, इसलिए घरेलू बाजार में उपज की कीमत करीब पांच लाख रुपए प्रति किलोग्राम मिल सकेगी. जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 8.50 लाख तक मिल सकती है.
वहीं खेती में उनका पूरा परिवार उनका हाथ बंटाता है. अनिल जायसवाल की पत्नी कल्पना ने बताया कि पेड़-पौधों में भी जान होती है. हम केसर के पौधों को संगीत सुनाते हैं ताकि बंद कमरे में रहने के बावजूद उन्हें महसूस हो कि वे प्रकृति के नजदीक हैं. दिन में सुबह दो घंटे ओर शाम में दो घंटे समय देते है जिसका फल उनके सामने है. वह अपने पति पर भी गर्व महसूस करते हुए आज के युवाओं को भी सिख लेने की बात कह रही है.
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