मध्य प्रदेश में भ्रष्ट अफसरों द्वारा 877 करोड़ रुपये के सरकारी धन को चहेते ठेकेदारों में बांट देने वाले घोटाले का खुलासा हुआ है. राज्य में वर्ष 2018-19 में सात सिंचाई परियोजनाओं में 877 करोड़ रुपए के घोटाले का मामला सामने आया है. जांच में पता चला कि अधिकारियों ने काम पूरा होने से पहले ही चहेती कंपनियों को करोड़ों रुपए का भुगतान कर दिया था.
कंपनियों को करोड़ों रुपए का किया था भुगतान
आर्थिक अपराध शाखा (EOW) के भोपाल मुख्यालय ने जांच में जल संसाधन विभाग के तत्कालीन प्रमुख अभियंता राजीव कुमार सुकलीगर, अधीक्षण यंत्री शरद श्रीवास्तव और मुख्य अभियंता शिरीष मिश्रा के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है. जांच में पता चला कि अधिकारियों ने काम पूरा होने से पहले ही चहेती कंपनियों को करोड़ों रुपए का भुगतान कर दिया था.
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EOW एसपी राजेश मिश्रा के मुताबिक राज्य शासन से सूचना मिली थी कि प्रदेश में निर्माणाधीन 7 सिंचाई परियोजनाओं में निर्माणकर्ता कंपनियों को नियम विरुद्ध भुगतान किया गया है. इनमें से 3 परियोजनाओं में 489 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया, जबकि काम शुरू ही नहीं हुआ था. इसी तरह अन्य सिंचाई परियोजनाओं में नियम विरुद्ध भुगतान किया गया. EOW की जांच में भी इन अधिकारियों ने भुगतान के संबंध में स्पष्ट जानकारी नहीं दी.
इन परियोजनाओं में हुआ फर्जीवाड़ा
- हनौता बांध एवं नहर प्रणाली, सागर
- बण्डा बांध एवं नहर प्रणाली, सागर
- गौंड बांध एवं नहर प्रणाली, सिंगरौली
- निरगुढ़ बांध एवं नहर प्रणाली, बैतूल
- घोघरी बांध एवं नहर प्रणाली, बैतूल
काम अधूरा छोड़कर भागे ठेकेदार
जांच में पता चला कि सिंचाई परियोजना में नहर निर्माण का भी काम शामिल था. ये परियोजनाएं अभी भी अधूरी हैं. अधिकतर निर्माणकर्ता कंपनियां काम छोड़कर जा चुकी हैं. इधर, जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से इन कंपनियों ने नहर प्रणाली में लगने वाले पाइप समेत अन्य सामग्री बांध निर्माण के पहले ही खरीद लिए थे.
इसका भुगतान भी कंपनियों को कर दिया गया. जांच के बाद EOW ने प्रकरण दर्ज करने के लिए अनुमति लेने 9 मार्च 2022 को प्रतिवेदन सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा था. जांच प्रतिवेदन का अध्ययन करने के बाद 30 मार्च को प्रकरण दर्ज करने की अनुमति दी गई.
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