MP School Buildings: मध्य प्रदेश में भारी बारिश की वजह से जर्जर मकान और दीवारें गिरने के मामले लगातार सामने आ रहे है. जर्जर दीवारें गिरने की वजह से सागर -रीवा में 13 बच्चों की मौत हो गई. सागर में मंदिर के पास कच्ची दीवार गिरने से नौ बच्चों की मौत हुई थी तो रीवा में स्कूल से घर जाते समय दीवार गिरने से चार बच्चों की मौत हो गई.


इन हादसों के बाद भी सिस्टम इनसे सबक लेता हुआ नहीं दिख रहा है. राजधानी भोपाल सहित प्रदेश के कई जिलों में 100-150 साल पुराने जर्जर भवनों में स्कूल संचालित हो रहे हैं, इन भवनों की दीवारों की हालत ऐसी हो गई है कि कभी भी ढहने का अंदेशा बना रहता है.






भोपाल के हमीदिया गल्र्स स्कूल भवन का निर्माण 1870 में हुआ था. इस भवन की 22 फीट ऊंची दीवार से बच्चों को हर दम खतरा बना रहा है. बीते 5-6 सालों से यह दीवार रोड की ओर झुकी हुई है. पीडब्ल्यू भी जांच कर इसे खतरनाक घोषित कर चुका है. इस स्कूल में 225 छात्राएं पढ़ती हैं.


हमीदिया गल्स की प्राचार्य विमला शाह ने बताया है हमने कई बार पत्र लिखा है बिल्डिंग नई बनाए जाए अभी तो हम पुरानी बिल्डिंग में पढ़ाने को मजबूर हैं बच्चों को लेकर सरकार को ध्यान देना चाहिए, जबकि स्कूल में बिल्किसिया नर्सिंग होम में 45 से ज्यादा लड़कियां रहती हैं. इसी तरह भोपाल के ही जहांगीरिया स्कूल भवन का निर्माण में 1830 का बताया जाता है. इस स्कूल भवन का पहला फ्लोर गिर चुका है. इस स्कूल में भी 125 बच्चे पढ़ते हैं.


टपकती छतों के बीच पढ़ाई


कुछ ऐसा ही हाल उज्जैन शहर के स्कूलों का भी है. उज्जैन शहर में योगेश्वर टेकरी पर शासकीय प्राथमिक स्कूल हैं. तीन कमरों में संचालित स्कूल की बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है. छतों से पानी टपक रहा है. स्कूल में वॉशरूम तक नहीं है. टपकती छतों के बीच बच्चे पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं. शिक्षक विनीता शर्मा का कहना है बिल्डिंग जर्जर है वाशरूम तो इतना जर्जर है कि वे नही चाहती कि बच्चे इसे यूज करें. इसे लेकर कांग्रेस ने ट्वीट करते हुए लिखा कि मुख्यमंत्री  को निशाना साधा है. 


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