Sehore Assembly: 1972 के बाद सीहोर के किसी विधायक को नहीं मिली कैबिनेट में जगह, जानें- यहां का राजनीतिक इतिहास
मध्य प्रदेश के सीहोर विधानसभा में चार दशक से प्रदेश मंत्रिमंडल में अब तक एक भी मंत्री पद नहीं ले सका है. कांग्रेस के कद्दावर नेता अजीज कुरैशी 1972 में विधायक बने थे.
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MP News: सिहोरा विधानसभा (sehore assembly) बीते साढ़े चार दशक से प्रदेश के मंत्रिमंडल में अब तक एक भी मंत्री पद नहीं ले सका है. अब से पांच दशक पहले जरुर सीहोर विधानसभा से विधायक रहे पूर्व गवर्नर अजीज कुरैशी (Aziz Qureshi) सिंचाई और शिक्षा मंत्री जैसे अहम पद पर रहे है. 1972 के बाद सीहोर विधानसभा से प्रदेश के मंत्री मंडल में एक विधायक मंत्री पद नहीं पा सका.
राजनीति के जानकारों के अनुसार साल 1972 में इछावर विधानसभा सीहोर अंतर्गत आती थी. सीहोर विधानसभा से कांग्रेस के कद्दावर नेता अजीज कुरैशी विधायक बने थे. विधायक के बाद उन्हें प्रदेश के मंत्रिमंडल में सिंचाई और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण पद मिले थे. उनके मंत्री बनने से सीहोर विधानसभा भी गौरवान्वित हुई थी. हालांकि अजीज कुरैशी पांच साल ही मंत्री रहे इसके बाद साल 1977 में सीहोर और इछावर विधानसभा आइसोलेट हो गई. 1977 में सीहोर विधानसभा चुनाव में सविता वाजपेयी ने कांग्रेस के कद्दावर नेता अजीज कुरैशी को इस चुनाव में मात दे दी थी. उनके हारते ही सीहोर से भी मंत्री पद छिन गया था.
इन्होंने पहना विधायक का ताज
गौरतलब है कि सीहोर विधानसभा से अब तक कांग्रेस से शंकरलाल साबू, बीजेपी से मदनलाल त्यागी बीजेपी से रमेश सक्सेना चार बार विधायक रहे. इसके बाद निर्दलीय सुदेश राय विधायक बने. इसके बाद फिर से बीजेपी से ही सुदेश राय ने सीहोर विधानसभा के विधायक बने. हालांकि यह विडंबना है कि इन 40 साल यानि चार दशक में एक भी विधायक मंत्री मंडल में अपनी जगह बनाने में कामयाब नहीं हो सका.
बुधनी-इछावर होती रही लाभान्वित
प्रदेश के मंत्री मंडल के मामले में जिले की बुधनी और इछावर विधानसभा खासी खुश नसीब है. बीते लगभग 18 सालों से प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान है. जो विधानसभा से विधायक है. इसी तरह प्रदेश के मंत्रिमंडल में दो बार इछावर विधानसभा भी अपनी जगह बनाने में कामयाब रही. इछावर विधानसभा से विधायक करण सिंह वर्मा लगातार दो बार तक मंत्री रहे. वे राजस्व मंत्री जैसे अहम पदों पर आसीन रहे. ऐसे ही मामलों की बात करें तो बुधनी विधानसभा सबसे अधिक खुश किस्मत रही. सीएम के इस कार्यकाल को छोड़ दें तो यहां से तीनों ही कार्यकालों में लगभग आधा दर्जन से अधिक निगम पद सीएम के करीबी नेताओं को मिलते आए हैं.
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