MP: 20 लाख का घोटाला, दस्तावेज छिपाने के लिए कलेक्टर ऑफिस में लगाई आग, 2 गिरफ्तार
MP News: शिवपुरी के पुलिस अधीक्षक अमन सिंह राठौड़ ने बताया कि आरोपी ने जिलाधिकारी कार्यालय के भूमि अधिग्रहण अनुभाग में मुआवजे के वितरण में अनियमितताओं से संबंधित फाइलों को नष्ट करने के लिए आग लगा दी.
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Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के शिवपुरी (Shivpuri) में पिछले सप्ताह जिलाधिकारी कार्यालय में आग लगने से कई दस्तावेज जल जाने के मामले में एक सरकारी कर्मचारी और उसके दो सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने सोमवार (20 मई) को यह जानकारी दी. शुक्रवार और शनिवार की मध्यरात्रि को जिलाधिकारी कार्यालय में लगी भीषण आग में कई दस्तावेज जल गए. आग बुझाने के लिए राज्य आपदा आपातकालीन प्रतिक्रिया बल (SDRF) को बुलाया गया था.
पुलिस अधीक्षक (SP) अमन सिंह राठौड़ ने बताया कि आरोपी ने जिलाधिकारी कार्यालय के भूमि अधिग्रहण अनुभाग में मुआवजे के वितरण में अनियमितताओं से संबंधित फाइलों को नष्ट करने के लिए आग लगा दी. उन्होंने बताया कि अनुभाग में काम करने वाले एक कंप्यूटर ऑपरेटर ने आग लगाने के लिए दो लोगों को काम पर रखा था. उनके अनुसार सीसीटीवी फुटेज में 17 मई की रात एक बजे और डेढ़ बजे के बीच दो लोग परिसर के अंदर दिखाई दिए थे.
दस्तावेज छिपाने के लिए लगवाई आग
अमन सिंह राठौड़ ने आगे बताया कि बाद में दोनों की पहचान भूमि अधिग्रहण अनुभाग के कंप्यूटर ऑपरेटर रूप सिंह परिहार और उसके सहयोगी राहुल सिंह परिहार के रूप में हुई. एसपी ने कहा कि रूप सिंह परिहार के खिलाफ एक सिंचाई योजना के लिए भूमि अधिग्रहण में 20 लाख रुपये के गबन के संबंध में जांच चस रही है.
एसपी ने कहा कि पुलिस ने पहले ही रूप सिंह परिहार और अन्य अधिकारियों के खिलाफ गबन के आरोप में कोतवाली थाने में मामला दर्ज कर लिया है. उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारी रुप सिंह परिहार और उसके सहयोगियों राहुल परिहार और जितेंद्र पाल को गिरफ्तार कर लिया गया है. दरअसल, रूप सिंह परिहार लंबे वक्त से एक प्राइवेट कंपनी में कंप्यूटर ऑपरेटर का काम कर रहा है, जो कि नदी परियोजना के तहत गांव वालों से ली गई जमीन का भुगतान कराने के लिए डॉक्यूमेंट्स तैयार करवाती है.
इसी से बिल जनरेट होकर भू अर्जन शाखा भेजे जाते हैं. इन भुगतानों में रूप सिंह ने 20 लाख का फर्जी भुगतान भी करवा लिया था. पत्नी के नाम पर करीब 7 लाख, दूसरे खातों में करीब 14 लाख रुपये का भुगतान कराया है. इसी मामले में कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए थे. रूप सिंह को लगा कि अब उसका किया फर्जीवाड़ा सबके सामने आ जाएगा. इसलिए उसने यह प्लान बनाया था.
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