MP News: मासूमों से रेप के 92 फीसदी मामलों में रिश्तेदार या परिचित शामिल, CM शिवराज ने की ये मांग
Jabalpur News: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जबलपुर में न्याय जगत से जुड़े एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अपील की कि दोषियों को जल्द कठोर दंड की व्यवस्था हो.
CM Shivraj On Rape Case: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में मासूमों के साथ रेप की घटनाओं को लेकर बड़ा खुलासा हुआ. रेप की 92 फीसदी घटनाओं में आरोपी निकट के रिश्तेदार या परिचित होते हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जबलपुर (Jabalpur) में न्याय जगत से जुड़े एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ना केवल यह खुलासा किया बल्कि अपील भी की कि दोषियों को जल्द कठोर दंड की व्यवस्था हो. इस कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीश धनकड़ (Jagdeep Dhankhar) और राज्यपाल मंगू भाई पटेल (Mangubhai Patel) के साथ सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जज भी मौजूद थे.
92 फीसद घटनाओं में आरोपी परिचित
सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने जबलपुर में प्रथम जस्टिस जेएस वर्मा मेमोरियल लेक्चर को संबोधित करते हुए भोपाल के निजी स्कूल के बस में मासूम के साथ हुई घटना का विशेष तौर पर जिक्र किया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्य प्रदेश में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए गए हैं लेकिन फिर भी घटनाएं घटित हो रही है. मासूमों के साथ रेप की करीब 92 फीसदी घटनाएं ऐसी होती हैं, जिनमें आरोपी परिचित या फिर कोई रिश्तेदार ही रहता है. उन्होंने कहा कि हमने फास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से ऐसे मामलों की जल्द से जल्द सुनवाई पूरी की और अधिकांश मामलों में आरोपियों को फांसी की सजा सुनायी. उन्होंने आगे कहा कि हालांकि वास्तविकता में आरोपी को फांसी लगने में सालों लग जाते हैं.
सीएम ने सख्त कानून की मांग की
मुख्यमंत्री चौहान ने मंच पर विराजमान सभी जजों को संबोधित करते हुए कहा कि रेपिस्ट पर कानून को भी सख्त होना होगा. आज भी जनता को कोर्ट पर पूरा भरोसा है. रेपिस्ट पर सख्त कार्रवाई हो इसके लिए विधायिका और न्यायपालिका को बैठकर गंभीर विचार करने की जरूरत है. कार्यक्रम में इसके साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने न्याय की भाषा को मातृभाषा बनाने पर भी जोर दिया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि न्याय की भाषा मातृभाषा क्यों नहीं हो सकती है? मेरी जजों से प्रार्थना है कि न्याय की भाषा को मातृभाषा बनाया जाए ताकि हर आम आदमी अपना फैसला आसान शब्दों में समझ सके. उन्होंने कहा कि हमने मातृभाषा को प्राथमिकता देते हुए मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई को हिंदी में किया. लिहाजा मैं अपील करता हूं कि न्याय की भाषा को भी मातृभाषा बनाया जाए.