Siyasi Scan: कहते हैं चुनावों में छोटे सा छोटा फैक्टर बहुत काम करता है. यह छोटे-छोटे फेक्टर किसी को हार तो किसी को जीत का सेहरा बंधा देता है. ऐसा ही एक किस्सा है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर की इछावर विधानसभा का. साल 2013 में मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लहर होने के बाद भी एमपी के सबसे सीनियर एमएलए करण सिंह वर्मा का जीत का क्रम टूट गया था. 


'हूं कई करुं' गीत की वजह से 6 बार के बीजेपी विधायक करण सिंह वर्मा विधानसभा चुनाव में युवा कांग्रेसी नेता शैलेन्द्र पटेल से चुनाव हार गए थे. 


यह थे गीत के बोल...
हूं कई करुं, अरे भाया हूं कई करुं, अरे नेताजी आप नहीं करेंगे तो कौन करेगा, हूं कई करुं, नेताजी कहते रहते हैं हूं कई करुं. युवा को रोजगार नहीं है, हूं कई करुं. क्षेत्र में व्यापार नहीं है, हूं कई करुं. क्षेत्र में कोई उद्योग नहीं है, हूं कई करुं. क्षेत्र में कोई विकास नहीं है, हूं कई करुं. विकास की कोई आस नहीं है, हूं कई करुं. सिंचाई के साधन नहीं है, हूं कई करुं. गरीब-किसान परेशान हैं, हूं कई करुं. हर दम नेताजी कहते हैं हूं कई करुं. जब भी मिलो तो यही कहते हैं हूं कई करुं. कुछ कहो तो यही कहते हैं हूं कई करुं. 


महज 744 वोटों से मिली थी हार
बता दें कि साल 2013 के चुनावों परिणामों भाजपा के सीनियर छह बार के विधायक करण सिंह वर्मा को इस चुनाव में महज 744 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था. इस चुनाव में 11 उम्मीदवार मैदान में थे. बीजेपी की ओर से 6 बार के विधायक करण सिंह वर्मा तो कांग्रेस ने युवा नेता शैलेन्द्र सिंह पटेल पर विश्वास जताया था. जबकि अन्य शैलेन्द्र रामचरण पटेल, अनोखीलाल, नरेन्द्र सिंह, अजब सिंह मेवाड़ा, महेन्द्र कुमार, शिवराम परमार, नवीन, उमरोसिंह, करनसिंह वर्मा शामिल थे. इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी शैलेन्द्र पटेल को 74 हजार 704 मत प्राप्त हुए थे.


जबकि बीजेपी के करण सिंह वर्मा को 73 हजार 960 वोट मिले थे, इस तरह वे 744 वोटों से चुनाव हार गए थे. अन्य प्रत्याशी शैलेन्द्र रामचरण पटेल को 2246, अनोखीलाल 1776, नरेन्द्र सिंह मनडोलिया 1463, अजब सिंह मेवाड़ा 1109, महेन्द्र कुमार 470, शिवराम परमार  469, नवीन 414, उमरोसिंह 293 और कर्णसिंह वर्मा को 221 वोट प्राप्त हुए थे. 


साल 1985 से था बीजेपी का गढ़
बता दें यूं तो साल 1977 में नारायण प्रसाद गुप्ता जनता पार्टी की और से विधायक बने थे, साल 1980 में हरिचरण वर्मा ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई) से विधायक बने थे. इसके बाद से ही ये गढ़ भाजपा का हो गया था. साल 1985 में करण सिंह वर्मा भाजपा से विधायक बने. उनका यह क्रम साल 1990, 1993, 1998, 2003 और 2008 में जारी रहा.


2008 में भी करण सिंह वर्मा इछावर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए, लेकिन साल 2013 में उनकी यह जीत का क्रम टूट गया और एक गीत की वजह से करण सिंह वर्मा साल 2013 के चुनाव में युवा नेता कांग्रेस प्रत्याशी शैलेन्द्र पटेल से चुनाव हार गए थे. हालांकि साल 2018 में एक बार फिर करण सिंह वर्मा भाजपा की और से विधायक बने. 


मॉडल नहीं बन सका इछावर
बता दें कि करण सिंह वर्मा इछावर विधानसभा से सातवीं बार विधायक हैं. करण सिंह वर्मा दो बार प्रदेश कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं, लेकिन विडम्बना यह है कि सात बार विधायक रहने के बावजूद भी इछावर विधानसभा छिंदवाड़ा की भांति एमपी में मॉडल नहीं बन सकी. इछावर विधानसभा क्षेत्र के लोगों का मत है कि यदि करण सिंह वर्मा के एक विधानसभा कार्यकाल की एक बड़ी उपलब्धि भी आती तो अब सात ऐसी उपलब्धियां आ चुकी होतीं, जिससे इछावर की पहचान प्रदेश सहित पूरे देश में होती, लेकिन ऐसा नहीं हो सका.


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