MP Siyasi Scan: 46 साल में BJP के इस गढ़ को दो बार ही भेद पाई कांग्रेस, जानें इस चुनाव से पहले क्या हैं तैयारियां?
BJP MLA Karan Singh Verma : साल 1980 के बाद से तो मानो इछावर विधानसभा बीजेपी का गढ़ बन गया. बीजेपी के सबसे सीनियर विधायक व पूर्व मंत्री करण सिंह वर्मा इछावर विधानसभा से सात बार विधायक चुने गए.
MP Siyasi Scan : साल 2018 की तरह ही मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की सत्ता में 2023 में फिर से सरकार बनाने का दावा कर रहे प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं. सियासी स्कैन की इस सीरिज में हम बीजेपी (BJP) के एक ऐसे गढ़ की बात कर रहे हैं, जिसके गठन (1977) के बाद पूरे 46 साल में कांग्रेस (Congress) महज दो बार ही भेद पाई है. वर्तमान में भी बीजेपी के इस गढ़ में जमीनी स्तर पर कांग्रेस की तैयारियां फिलहाल तो अधूरी सी नजर आ रही हैं.
सात बार विधायक बने करण सिंह वर्मा
हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के सबसे सीनियर विधायक व प्रदेश के पूर्व राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा की इछावर विधानसभा की. साल 1977 से पहले इछावर विधानसभा क्षेत्र सीहोर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत ही आता था. साल 1977 में इछावर विधानसभा का गठन हुआ. साल 1977 के पहले ही चुनाव में यहां जनता पार्टी के नारायण प्रसाद गुप्ता विधायक चुने गए.
हालांकि साल 1980 में हरिचरण वर्मा कांग्रेस से विधायक चुने गए. साल 1980 के बाद से तो मानो इछावर विधानसभा बीजेपी का गढ़ सा बन गया. बीजेपी के सबसे सीनियर विधायक व पूर्व राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा इछावर विधानसभा से सात बार विधायक चुने गए. वर्तमान में भी वे ही यहां से विधायक हैं.
दो बार ही इस गढ़ को भेद पाई कांग्रेस
बता दें कि साल 1977 में इछावर विधानसभा के गठन के बाद बीजेपी के इस गढ़ को कांग्रेस महज दो बार ही भेद पाई है. साल 1977 में इछावर विधानसभा के गठन के बाद पहली बार जनता पार्टी से नारायण प्रसाद गुप्ता यहां से विधायक चुने गए थे. इसके बाद साल 1980 में कांग्रेस के हरीचरण वर्मा 1980 में विधायक बने. 1880 के बाद से तो मानो करण सिंह वर्मा ने इछावर विधानसभा अपने नाम ही कर ली.
साल 1985 में वे (करण सिंह वर्मा) पहली बार विधायक बने. इसके बाद साल 1990, 1993, 1998, 2003 और साल 2008 करण सिंह वर्मा विधायक चुने गए. हालांकि साल 2013 में इस गढ़ पर कांग्रेस ने अपना कब्जा किया और शैलेन्द्र पटेल कांग्रेस से विधायक बने. हालांकि शैलेन्द्र पटेल अपनी इस जीत को आगे बरकरार नहीं रख सके और साल 2018 में पुन: करण सिंह वर्मा विधायक चुने गए. वर्तमान में करण सिंह वर्मा ही यहां से विधायक हैं.
हार का कारण बना था यह गाना
साल 2013 में मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लहर होने के बाद भी एमपी के सबसे सीनियर एमएलए करण सिंह वर्मा चुनाव हार गए थे. हूं कई करुं गीत की वजह से छह बार के भाजपा विधायक करण सिंह वर्मा साल 2023 के विधानसभा चुनाव में युवा कांग्रेसी नेता शैलेन्द्र पटेल से चुनाव हार गए थे. जो गीत था 'वह हूं कई करुं, अरे भाया हूं कई करुं, अरे नेताजी आप नहीं करेंगे तो कौन करेगा, हूं कई करुं, नेताजी कहते रहते हैं हूं कई करुं. युवा को रोजगार नहीं है, हूं कई करुं. क्षेत्र में व्यापार नहीं है, हूं कई करुं.
क्षेत्र में कोई उद्योग नहीं है, हूं कई करुं. क्षेत्र में कोई विकास नहीं है, हूं कई करुं. विकास की कोई आस नहीं है, हूं कई करुं. सिंचाई के साधन नहीं है, हूं कई करुं. गरीब-किसान परेशान हैं, हूं कई करुं. हर दम नेताजी कहते हैं हूं कई करुं. जब भी मिलो तो यही कहते हैं हूं कई करुं. कुछ कहो तो यही कहते हैं हूं कई करुं.'
महज 744 वोटों से मिली थी हार
बता दें कि साल 2013 के चुनावों परिणामों बीजेपी के सीनियर छह बार के विधायक करण सिंह वर्मा को इस चुनाव में महज 744 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था. इस चुनाव में 11 उम्मीदवार मैदान में थे. बीजेपी की ओर से छह बार के विधायक करण सिंह वर्मा तो कांग्रेस ने युवा नेता शैलेन्द्र सिंह पटेल पर विश्वास जताया था. अन्य में शैलेन्द्र रामचरण पटेल, अनोखीलाल, नरेन्द्र सिंह, अजब सिंह मेवाड़ा, महेन्द्र कुमार, शिवराम परमार, नवीन, उमरो सिंह और कर्ण सिंह वर्मा शामिल थे.
इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी शैलेन्द्र पटेल को 74 हजार 704 मत प्राप्त हुए थे, जबकि बीजेपी के करण सिंह वर्मा को 73 हजार 960 वोट मिले थे. इस तरह वे 744 वोटों से चुनाव हार गए थे. अन्य प्रत्याशी शैलेन्द्र रामचरण पटेल को 2246, अनोखीलाल 1776, नरेन्द्र सिंह मनडोलिया 1463, अजब सिंह मेवाड़ा 1109, महेन्द्र कुमार 470, शिवराम परमार 469, नवीन 414, उमरो सिंह 293 और कर्ण सिंह वर्मा को 221 वोट प्राप्त हुए थे.
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