Siyasi Scan: अब से तीन साल पहले यानी साल 2020 में देश सहित मध्य प्रदेश में आई कोरोना महामारी ने भले ही सभी को झकझोर कर रख दिया हो, लेकिन यह महामारी कई लोगों के लिए फायदेमंद भी साबित हुई थी. फायदे में रहने वाले लोगों की सूची में शिवराज सिंह चौहान का नाम भी शामिल है. जब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के सियासी 17 दिनों के घटनाक्रम और संघर्ष के बाद पुन: शिवराज सिंह चौहान को सीएम पद नसीब हुआ. 


बता दें, 15 साल से मध्य प्रदेश की सत्ता में जमीन जकड़ी बीजेपी सरकार को हटाने के बाद कांग्रेस की सरकार प्रदेश की सत्ता में काबिज हुई. मुख्यमंत्री के रूप में कमलनाथ ने प्रदेश की कमान संभाली, लेकिन कमलनाथ महज डेढ़ साल ही सत्ता का सुख भोग सके और ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायकों द्वारा कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस की सरकार गिर गई. प्रदेश में यह सियासी घटनाक्रम पूरे 17 दिन तक चला था. 20 मार्च 2020 को सीएम कमलनाथ को विधानसभा में विश्वासमत पेश करना था, लेकिन विश्वासमत प्रस्तुत करने से पहले ही कमलनाथ ने हार मार ली और वे राज्यपाल लालजी टंडन के पास इस्तीफा देने राजभवन जा पहुंचे.
 
सीहोर से निकले विधायकों को बस में मिली खबर
इधर राजधानी भोपाल के नजदीकी सीहोर जिले की एक लग्जरी होटल में बीजेपी के विधायक ठहरे हुए थे. सभी विधायक 20 मार्च 2020 को बस में सवार होकर विधानसभा के लिए रवाना हुए, लेकिन बीच रास्ते में ही विधायकों को कमलनाथ के इस्तीफे की खबर मिल गई. फिर क्या था, रास्ते में ही बस जय श्री राम के नारे से गुंजायमान होने लगे और बीजेपी विधायकों को डेढ़ साल के वनवास के बाद फिर सत्ता का सुख दिखने लगा. बस में आगे की तरफ शिवराज सिंह बैठे हुए थे. बीजेपी विधायकों से भरी बस भोपाल पहुंची, जहां विधायक फूले नहीं समां रहे थे और कैमरे को देखते ही विक्ट्री साइन बना रहे थे. यहां मिठाई और पटाखे का दौर भी शुरू हो गया था. 


अब दिल्ली के संदेश का इंतजार
सभी विधायकों को उम्मीद थी कि 20 मार्च 2020 को ही विधायक दल का नेता चुना जाएगा, लेकिन दिल्ली से आलाकमान का संदेश नहीं आने की वजह से फिलहाल यह बैठक नहीं हो सकी. दो दिन तक प्रदेश की सियासत में सन्नाटा पसरा रहा.


अचानक कोरोना ने बनाए आसार
इधर देश सहित प्रदेश में कोरोना महामारी का संकट आने लगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधन में जनता कर्फ्यू का एलान कर दिया. ऐसे में भाजपा आलाकमान ने इतने बड़े मध्यप्रदेश को बगैर सीएम के रहना उचित नहीं समझा. महामारी के इस दौर में मप्र को मझे हुए जनप्रतिनिधि की जरुरत थी. ऐसे में आलाकमान ने शिवराज सिंह चौहान को ही सीएम बनाना उचित समझा.


शुभ दिन का नहीं करने दिया इंतजार
राजनीति के जानकारों की मानें तो शिवराज सिंह चौहान दो दिन बाद गुड़ी पड़वा पर चौथी बार सीएम पद की शपथ लेना चाहते थे, लेकिन बीजेपी आलाकमान ने साफ इनकार कर दिया. नतीजतन सीएम शिवराज सिंह चौहान को 23 मार्च को ही सीएम पद की शपथ लेनी पड़ी. पंडितों द्वार सुझाए गए मुहूर्त रात 9.23 बजे मध्य प्रदेश के राजभवन में बने संदीपनी हॉल में सीमित मीडिया और गिने चुने बीजेपी विधायकों के सामने शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री के तौर पर पद और गोपनीयता की शपथ ली.


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