MP Siyasi Scan: बात साल 1991 की है. तब पक्ष-विपक्ष के नेताओं में इतनी तल्खी नहीं होती थी. वाद-विवाद होता था, लेकिन वैसा नहीं जैसा मध्य प्रदेश की विधानसभा में उस दिन हुआ था. पहले मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा को कांग्रेस की एक युवा एवं तेजतर्रार विधायक ने सदन के भीतर चूड़ी भेंट की और इसके बाद जूता कांड हो गया. फिर ऐसा क्या हुआ कि मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा सदन में फूट-फूट कर रोये? मध्य प्रदेश की राजनीति के 'सियासी किस्सा' सीरीज में आज हम इसी पर चर्चा करेंगे.


इस किस्से की मुख्य किरदार पूर्व विधायक कल्याणी पांडेय ने एबीपी न्यूज को खुद उस दिन की पूरी कहानी बताई. इस कहानी को आगे बढ़ाने से पहले उस समय के राजनीतिक माहौल पर एक नजर डाल लेते हैं. बोफोर्स कांड के बाद देश भर में कांग्रेस के लिए राजनीतिक हालात अच्छे नहीं थे. केंद्र में राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी को सत्ता से बाहर होना पड़ा.


इसी तरह 1989 के मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा. इसके बावजूद 26 साल की कुमारी कल्याणी पांडेय ने जबलपुर की पाटन विधानसभा सीट पर कांग्रेस का परचम लहरा दिया. वे उस समय तक प्रदेश की सबसे कम उम्र की विधायक थीं. उन दिनों कल्याणी पांडे युवक कांग्रेस की दहेज विरोधी प्रकोष्ठ की राज्य संयोजक भी थीं. उन्होंने दहेज विरोध को पूरे प्रदेश में फैला दिया था. उन्हें अपने गुरु ब्रम्हलीन जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती की सिफारिश पर सीधे तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी द्वारा विधानसभा का टिकट दिया गया था. कल्याणी पांडेय की इस जीत ने जबलपुर से लेकर भोपाल तक सबको चौंका दिया था.


प्रदेश की सबसे युवा विधायक
अब बात करते हैं साल 1991 के मध्य प्रदेश विधानसभा के चूड़ी और जूता कांड का. कल्याणी पांडेय बताती हैं कि उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र पाटन में डॉक्टरों की कमी को लेकर एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाया था. तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष ब्रजमोहन मिश्रा उनके इस प्रस्ताव पर चर्चा नहीं करा रहे थे. इससे नाराज होकर वे सदन के गर्भ गृह में पहुंच गईं और अपनी कलाई से चूड़ियां उतारकर तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा को भेंट कर दीं. कल्याणी पांडेय अमूमन चूड़ियां नहीं पहनती थीं, लेकिन उस दिन उनकी मां स्वर्गीय पार्वती पांडे भोपाल में थीं और उन्होंने भगवती के पूजन में अर्पित चूड़ियां उन्हें पहना दी थीं.


सीएम पटवा ने मांगी माफी
मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा को विधानसभा के अंदर चूड़ी भेंट करने से हंगामा मच गया. सदन नारेबाजी से गूंजने लगा और पक्ष-विपक्ष दोनों में गर्मा-गर्मी होने लगी. पूर्व विधायक कल्याणी पांडे आगे बताती हैं कि इसके बाद भोपाल से बीजेपी विधायक स्वर्गीय बाबूलाल गौर ने उन्हें सदन से निकालने का प्रस्ताव पेश किया. इसी दौरान सत्तापक्ष के एक अन्य विधायक गोपाल भार्गव ने कुमारी कल्याणी पांडेय के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी कर दी. इसके बाद तो युवा तरुणाई की प्रतीक कल्याणी पांडेय का गुस्सा सातवें आसमान पर था.


उन्होंने आव देखा न ताव और अपना जूता उतारकर गोपाल भार्गव की तरफ उछाल दिया. जूता गोपाल भार्गव की जगह किसी दूसरे विधायक को लगा. अब सदन का पूरा माहौल कल्याणी पांडेय के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी पर केंद्रित हो गया. लंबे हंगामे के बाद पक्ष-विपक्ष में सुलह-सफाई पर चर्चा हुई. आखिरकार तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने सदन में रोते हुए विधायक कल्याणी पांडेय से माफी मांगी.


पूर्व विधायक कल्याणी पांडे बताती हैं कि सदन के अंदर सुंदरलाल पटवा ने रोते हुए कहा कि,"कुमारी कल्याणी पांडेय उनकी बेटी की तरह हैं. सदन में उनके खिलाफ जो अमर्यादित टिप्पणी हुई है, उसके लिए वे माफी मांगते हैं."


सिर्फ 300 वोट से हारीं चुनाव
मध्य प्रदेश विधानसभा चूड़ी और जूता कांड ने सबसे युवा विधायक कल्याणी पांडेय को पूरे देश में चर्चित कर दिया. हालांकि पटवा सरकार ढाई साल में बाबरी कांड के कारण बर्खास्त कर दी गई. 1993 के विधानसभा चुनाव में कल्याणी पांडेय पाटन सीट से सिर्फ 300 वोटों के अंतर से चुनाव हार गईं. इसके बाद मध्य प्रदेश में 16 साल बाद हो रहे नगर निगम के चुनाव में कल्याणी पांडेय जबलपुर से महापौर निर्वाचित हुईं. कल्याणी पांडेय ने साल 2004 में सिवनी लोकसभा सीट से सांसद का चुनाव भी लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद उनके राजनीतिक कैरियर में विराम आ गया.


आठ साल से कर रहीं गौ सेवा
पूर्व विधायक कल्याणी पांडेय इन दिनों राजनीति से दूर अपने गुरु ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के नरसिंहपुर जिले में स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में गौ सेवा में समर्पित हैं. उनकी गुरुकृपा गौ सेवा समिति में 120 गाय और बछड़े और राजराजेश्वरी गौशाला में साढ़े तीन सौ से ज्यादा गौ धन हैं. सबसे खास बात यह है कि उनकी गौशाला में सड़क दुर्घटना में घायल और किसानों द्वारा बीमार होने पर छोड़ दी गई गायों की भी देखरेख की जाती है. उन्हें गौ सेवा करते हुए आठ साल हो चुके हैं.


कल्याणी पांडेय कहती हैं कि उन्होंने राजनीति से कोई संन्यास नहीं लिया है, लेकिन यह कांग्रेस पार्टी पर निर्भर है कि वह उनका सदुपयोग कहां करना चाहती है. शिक्षा-दीक्षा की बात की जाए तो कल्याणी पांडेय ने एलएलबी के साथ पीएचडी की उपाधि भी हासिल की है. वे ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा स्थापित भारतीय महिला आश्रम की आजीवन राष्ट्रीय सचिव भी हैं.


MP News: कोर्ट का ऐतिसहासिक फैसला! धोखाधड़ी मामले में चिट फंड कंपनी के चेयरमैन को सुनाई 250 साल की सजा