Jabalpur News: मध्य प्रदेश ने सात बार कृषि कर्मण अवार्ड जीता है. यह देश में कृषि क्षेत्र का सबसे बड़ा और प्रतिष्ठित अवार्ड है. मध्य प्रदेश को यह अवार्ड दिलाने में यहां के किसानों के साथ-साथ कृषि वैज्ञानिकों और अध्यापकों का भी बहुत बड़ा योगदान है. लेकिन आज यही कृषि वैज्ञानिक और अध्यापक राज्य सरकार की बेरुखी से नाराज हैं. उनका कहना है कि मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें पांच साल बाद भी सेवंथ (7th) पे कमीशन के लाभ नहीं दिये हैं जबकि राज्य के अधिकांश कर्मचारियों को सेवंथ पे कमीशन के हिसाब से वेतन मिल रहा है.
अब प्रदेश के दो कृषि विश्वविद्यालयों के साथ वेटनरी विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक और कृषि प्राध्यापक आंदोलन की राह पर है. फिलहाल वह काली पट्टी धारण करके अपना विरोध जता रहे हैं और कह रहे हैं कि यदि 27 नवंबर तक राज्य सरकार ने उन्हें सेवंथ पे कमिशन के लाभ देने का निर्णय नहीं लिया तो वह क्रमिक भूख हड़ताल शुरू कर देंगे. कहा जा रहा है कि कृषि वैज्ञानिकों और कृषि प्राध्यापकों के इस आंदोलन से मध्य प्रदेश में कृषि क्षेत्र की रिसर्च पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.
मध्य प्रदेश के जबलपुर में जवाहरलाल कृषि विश्वविद्यालय औरनानाजी देशमुख वेटनरी विश्वविद्यालय के साथ ग्वालियर के राजमाता विजयराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के तकरीबन 1250 कृषि वैज्ञानिक और पृथ्वी प्राध्यापक सेवंथ पे कमीशन के लाभ से अभी तक वंचित हैं. अध्यापक-वैज्ञानिक तकनीकी परिषद, कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के अध्यक्ष डॉ मेवालाल केवट के मुताबिक 27 तारीख तक तीनों विश्वविद्यालय तथा उससे सम्बद्ध महाविद्यालयों के कृषि वैज्ञानिक और अध्यापक काली पट्टी धारण कर विरोध कर रहे हैं. इसके बाद भी यदि राज्य सरकार ने उन्हें सेवंथ पे कमीशन का लाभ नहीं दिया तो क्रमिक अनशन शुरू किया जाएगा.
केंद्र सरकार ने सेवंथ पे कमीशन की सिफारिशों को 29 जून 2916 को मंजूरी दी थी और इसका लाभ 1 जनवरी 2016 से देने की घोषणा की थी. मध्य प्रदेश सरकार ने 1 जनवरी 2017 से अपने कर्मचारियों के लिए सेवंथ पे कमीशन लागू किया था. लेकिन आंदोलन कर रहे कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों और अध्यापकों को पांच साल भी भी इसका लाभ नहीं मिला है.
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