MP news: ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती (Swami Swaroopanand Saraswati) के देवलोक गमन पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने शोक व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) तो आज जैसे सूना हो गया. वह सनातन धर्म के सूर्य थे. मैं मध्य प्रदेश की 8.5 करोड़ जनता की ओर से उनके चरणों में प्रणाम करता हूं. शंकराचार्य जी को श्रद्धा सुमन समर्पित करने नरसिंहपुर जिले के परमहंसी गंगा आश्रम पहुंचे मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि धर्म के ध्वज वाहक हमारी संस्कृति एवं जीवन मूल्यों के पोषक योद्धा थे. ऐसे सन्यासी जिन्होंने देश को आजाद कराने की लड़ाई लड़ी और करोड़ों-करोड़ भक्तों को सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी. ऐसे परम पूज्य शंकराचार्य जी महाराज ब्रह्मलीन हो गए.
नौ वर्ष की आयु में छोड़ा घर
उन्होंने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि 9 वर्ष की आयु में ही उन्होंने अपना घर छोड़ दिया था. आपने पिछले दिनों ही 100वें वर्ष में प्रवेश किया था. वह उद्भट विद्वान, वेद, उपनिषद, शास्त्रों के ज्ञाता थे. इन्होंने संपूर्ण जीवन सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में लगाया. उन्होने गरीबों, दलितों, जनजातियों की सेवा के लिए नेत्र चिकित्सालय, संस्कृत पाठशाला, अस्पताल सहित अनेकों प्रकल्प खड़े किए. वह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थे. मुख्यमंत्री चौहान ने घोषणा की कि उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. उन्होंने हमें जो राह दिखाई हम उस पर चलने का प्रयास करेंगे. परम पूज्य श्री शंकराचार्य जी महाराज के चरणों में शत-शत नमन और प्रणाम.
साढ़े तीन बजे दी गई भू-समाधि
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को दोपहर साढ़े तीन बजे के आसपास संत परंपरा के अनुसार भू-समाधि दी गई. राजकीय सम्मान के साथ शंकराचार्य जी महाराज को भू-समाधि दी गई. भू-समाधि से पहले शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी के पार्थिव देह की पालकी यात्रा निकाली गई. इस दौरान हजारों की संख्या में उमड़ें भक्तों ने नम आंखों से अपने गुरु को अंतिम विदाई दी.
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