MP Tiger Reserve: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में तीन महीने के मानसून ब्रेक के बाद एक अक्टूबर से टाइगर रिजर्व (Tiger Reserve) और नेशनल पार्कों में पर्यटन की गतिविधियां फिर से शुरू हो जाएंगी. वैसे, इस बार पर्यटकों को 25 से 50 फीसदी तक ज्यादा एंट्री फीस चुकानी पड़ सकती है. वन विभाग ने इस संबंध में शासन को प्रस्ताव भेजा है.
दरअसल, 29 जुलाई 2023 को बाघ दिवस (Tiger Day) के मौके पर मध्य प्रदेश को एक बार फिर 'टाइगर स्टेट' का तमगा मिल गया. इसके साथ ही मध्य प्रदेश को पिछले कई वर्षों से मिला 'टाइगर स्टेट' का स्टेटस कायम है. मध्य प्रदेश में टाइगरों की संख्या बढ़कर 785 हो गई है. 'स्टेटस ऑफ टाइगर को-प्रिडेटर्स एंड प्रे इन इंडिया 2022' नामक रिपोर्ट में यह खुशखबरी मिली है. रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2018 में मध्य प्रदेश में 526 बाघ थे, जो कि साल 2022 में बढ़कर 785 पहुंच चुके हैं.
मध्य प्रदेश में छह टाइगर रिजर्व (नेशनल पार्क) हैं. इनमें कान्हा, बांधवगढ़, पन्ना, पेंच, सतपुड़ा और संजय डुबरी नेशनल पार्क शामिल हैं. हालांकि प्रदेश में सातवां नेशनल पार्क (नौरादेही) दमोह और सागर जिले में बना दिया गया है, लेकिन अभी यहां व्यवस्थित टाइगर सफारी की सुविधा उपलब्ध नहीं है. बारिश के दिनों में इन पार्कों के कोर एरिया में टूरिस्टों की एंट्री एक जुलाई को बंद कर दी जाती है. इस कारण टूरिस्ट कोर एरिया की बजाय बफर जोन में घूम रहे हैं. हालांकि, उनकी संख्या में 75 फीसदी तक कमी आ गई है, क्योंकि कोर एरिया में जानवरों की चहल-कदमी ज्यादा होती है. 30 सितंबर तक कोर एरिया बंद रखे जाएंगे. बारिश का दौर थमने के बाद एक अक्टूबर से कोर एरिया खुल जाएंगे.
बुकिंग के लिए जरूरी बातें
• हर रोज सुबह 11 बजे से बुकिंग खुलेगी.
• यदि आप बुकिंग कैंसिल करना चाहते हैं, तो एक दिन पहले शाम 5 बजे तक उसे कैंसिल कर सकते हैं.
• यदि सफारी के लिए पंजीकृत वाहन उपलब्ध नहीं है, तो पार्क प्रबंधन सामान्य बफर दरों पर प्राइवेट वाहन को भी अनुमति दे सकता है.
• परमिट बुकिंग, कैंसिल आदि के लिए जानकारी लेना है, तो एमपी ऑनलाइन कस्टमर केयर नंबर 0755-6720200 पर संपर्क कर सकते हैं. वहीं, ईमेल आईडी forest@mponline.gov.in पर भी संपर्क किया जा सकता है.
क्या है कोर और बफर एरिया
वहीं www.mponline.gov.in पोर्टल सर्च करने पर 'राष्ट्रीय उद्यान' सिंबॉल पर क्लिक करेंगे, तो ऑनलाइन बुकिंग की साइट खुल जाएगी. इसमें दिन के हिसाब से बुकिंग कराई जा सकती है. हर नेशनल पार्क में ऐसा क्षेत्र होता है, जहां वन्यप्राणियों के रहने और जीवनशैली के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी और भोजन उपलब्ध होता है. वन क्षेत्र का सर्वाधिक घनत्व भी इसी क्षेत्र में देखने को मिलता है. किसी भी नेशनल पार्क में बीच के इलाके को कोर एरिया कहा जाता है. कोर एरिया और करीबी ग्रामीण क्षेत्र के बीच का हिस्सा बफर जोन कहलाता है. इसमें कोर एरिया के मुकाबले जंगल और घनत्व कम होता है. बफर एरिया एक तरह से कोर एरिया के चारों ओर रिंग की तरह भौगोलिक क्षेत्र बनाता है और एरिया की सुरक्षा करता है. यहां जानवरों की चहल-कदमी कम रहती है.
मध्य प्रदेश के टाइगर रिजर्व
कान्हा टाइगर रिजर्व
कान्हा टाइगर रिजर्व देश के बाघों के गढ़ में से एक है. यह भारत के मध्य में मंडला और बालाघाट जिले में स्थित मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है. पार्क में टाइगर, भारतीय तेंदुए, भालू, बारहसिंगा और जंगली कुत्ते की आबादी अधिक है. यह प्रदेश का सबसे बड़ा नेशनल पार्क भी है.
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व
बांधवगढ़ नेशनल पार्क मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में स्थित है.पार्क में 22 जंगली जानवर और 250 पक्षियों की प्रजाति पाई जाती है. हाथी पर सवार होकर या वाहन में बैठकर जंगल सफारी कर सकते हैं. बाघों के अलावा अन्य आकर्षण में नीलगाय, चौसिंघा, चीतल, चिंकारा, जंगली सूअर और कभी-कभी लोमड़ी दिखाई दे जाते हैं. इस पार्क में एक मुख्य पहाड़ है, जिसे बांधवगढ़ कहा जाता है.
पन्ना टाइगर रिजर्व
पन्ना टाइगर रिजर्व विंध्य रेंज में स्थित है. यह मध्य प्रदेश के पन्ना और छतरपुर जिलों में फैला हुआ है. केन नदी इस राष्ट्रीय उद्यान का मुख्य आकर्षण है. यहां जानवरों में बाघ, तेंदुआ, चीतल, चिंकारा, नीलगाय, सांभर और भालू हैं. यह उद्यान 200 से अधिक प्रजातियों के पक्षियों का घर है, जिनमें लाल सिर वाला गिद्ध, बार-हेडेड हंस, हनी बुजार्ड और भारतीय गिद्ध शामिल हैं. पार्क में गिद्ध की छह प्रजातियां पाई जाती हैं.
पेंच टाइगर रिजर्व
पेंच टाइगर रिजर्व मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा और सिवनी जिले में स्थित है. इसका नाम पेंच नदी से निकला है, जो इस टाइगर रिजर्व से होकर बहती है. पेंच नदी उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है जो टाइगर रिजर्व को समान रूप छिंदवाड़ा और सिवनी जिले को पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में विभाजित करती है. इस टाइगर रिजर्व में जंगली ग्वार, बाघ, तेंदुआ, बंदर और हिरण आसानी से देखे जा सकते हैं. यह टाइगर रिजर्व नेशनल हाईवे 7 पौनी के पास है और महाराष्ट्र और नागपुर के बहुत करीब है. पर्यटकों के प्रवेश के लिए दो प्रसिद्ध द्वार है, जिन्हें तुरिया और कर्मझिरी नाम दिया गया है. रूडयार्ड किपलिंग की प्रसिद्ध नॉवेल 'द जंगल बुक' में दर्शाए गए जंगल को पेंच टाइगर रिजर्व पर आधारित माना गया है.
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व होशंगाबाद जिले में स्थित है.यहां जानवरों में बाघ, तेंदुआ, सांभर, चीतल, भेडकी, नीलगाय, चौसिंगा, चिंकारा, गौर, जंगली सूअर, जंगली कुत्ता, भालू, काला हिरण, लोमड़ी, साही, उड़न गिलहरी, मूषक मृग और भारतीय विशाल गिलहरी आदि पाए जाते हैं. यहां पक्षियों की भी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें धनेश और मोर प्रमुख हैं.
संजय डुबरी नेशनल पार्क
संजय डुबरी नेशनल पार्क को गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान भी कहा जाता है.यह मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों में स्थित है. पार्क में बाघ, तेंदुआ, चीतल, सांबर, जंगली सूअर, नीलगाय, चिंकारा, सिवेट, साही, गोह और पक्षियों की 309 प्रजातियां हैं. सबसे आकर्षक पक्षियों में गोल्डन हुडेड ओरियल, भांगराज (रैकेट पूंछ ड्रोंगो), भारतीय पित्त रूफुस-ट्रीपाइ, लेसर एडजुटेंट, लाल सिर वाला गिद्ध, सनरस गिद्ध, भारतीय सफेद पूंछ वाला गिद्ध, मिस्र का गिद्ध और छप्पा (नाइटजार्स) हैं.
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