Indore: इंदौर में है बेल्जियम कांच और चांदी से सजा 100 साल पुराना अनोखा मंदिर, दूर-दूर से देखने आते हैं लोग
Indore News: कपड़ा मार्केट के बीच कांच मंदिर की बात ही कुछ निराली है. ये मंदिर शीश महल जैसा दिखाई देता है. मंदिर बेल्जियम के कांच से बनाया गया है. इसका निर्माण जयपुर के कारीगरों द्वारा किया गया है.
Madhya Pradesh News: अनेकता मे एकता का परिदृश्य देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर मे देखा जा सकता है. जहां सभी धर्मों के पवित्र धार्मिक स्थल देश भर में अपनी ख्याति के लिए प्रसिद्ध हैं, जिसमें से एक जैन मंदिर अपनी कलाकृति के कारण एक अलग जगह रखता है. इसकी ख्याति इंदौर (Indore) ही नहीं समूचे प्रदेश भर में दिखाई देती है. यह मंदिर है इंदौर का जैन कांच मंदिर जिसे शीश महल भी कहा जाता है.
बेल्जियम के कांच से बनाया गया है मंदिर
दरअसल जब भी इन्दौर के धार्मिक स्थलों की बात की जाती है तो उसमे इंदौर के हृदय स्थल राजवाड़ा से कुछ ही दूरी पर कपड़ा मार्केट के बीच कांच मंदिर की बात भी जरूर की जाती है क्योंकि यह मंदिर एक ऐसा मंदिर है जिसे ईरान (Iran) और जयपुर (Jaipur) के कारीगरों द्वारा बेल्जियम के कांच से बनाया गया था. जिसे बाहर से देखने पर तो यह साधारण मंदिर दिखाई देता है लेकिन अंदर प्रवेश करते ही आपको राजस्थान के आमेर किले में स्थित शीश महल जैसा दिखाई देगा.
इस मंदिर में जैन समाज से जुड़ी हुए करीब 50 दृश्य दिखाई देंगे जिसमे समाज के परिवर्तन के दृश्य और यातना देने वालो के चित्रों का वर्णन किया गया है. इस मंदिर में सबकुछ जैसे दीवार, दरवाजे, छत, खंबे ओर फर्श को दर्पणो से सजाया गया है. दरवाजों पर चांदी की परत चढ़ाई गई है. मंदिर में स्थापित मुख्य मूर्ति शांतिनाथ भगवान की है मूर्तियों के दोनो तरफ श्री चंद्रपभा भगवान और आदिनाथ भगवान भी है.
1903 में करवाई गई थी स्थापना
बताया जाता है कि इस मंदिर (Temple) कि स्थापना शहर के बड़े कपड़ा व्यापारी सेठ हुकुमचंद द्वारा सन 1903 में कराई गई थी. इस मंदिर के निर्माण के लिए जयपुर और ईरान से विशेष रूप से कारीगर बुलाए गए थे जिनके द्वारा सना हुआ ग्लास और दर्पण पैनल जैन धर्म के विभिन्न पहलुओं को भव्य रूप से जटिल विवरण के साथ दर्शाया गया है. इस मंदिर में जैन त्योहारों को बहुत उत्साह और उत्साह के साथ मनाया जाता है.
मंदिर को देखने के लिए दूर-दूर से आते है लोग
इस मंदिर को देखने के लिए लोग इंदौर सहित प्रदेश और देशभर से आते है. जिसे देखने के लिए सुबह 05 बजे से दोपहर 12 बजे तक और फिर शाम 04 बजे से रात 08 बजे तक देखने जाया जा सकता है. इस मंदिर को देखने का सबसे अच्छा समय है सूर्यास्त के बाद, जब सूरज की किरणें कांच पर पड़ती हैं तो मंदिर का सौंदर्य सबसे ज़्यादा होता है. इस दृश्य को भूल पाना लगभग नामुमकिन है. ये मंदिर ने सिर्फ़ आध्यात्म के प्रतीक हैं बल्कि अपनी स्थापत्य कल, आर्किटेक्चर, बनावट और ख़ूबसूरती के लिए भी जाने जाते हैं. हर एक मंदिर पवित्रता और शांति का प्रतीक है.
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