MP News: उज्जैन में शिप्रा शुद्धीकरण को लेकर फिर घमासान, कांग्रेस नेत्री ने दी जल समाधि की धमकी, मनाने में जुटा प्रशासन
उज्जैन की शिप्रा नदी का शुद्धीकरण कार्य राजनीतिक रंग ले चुका है. साधु-सतों के बाद अब कांग्रेस भी पूरे मामले को लेकर मैदान में आ गई है. मामले में कांग्रेस नेत्री ने जल सत्याग्रह शुरू कर दिया है.
Ujjain Congress Leader Protest: उज्जैन में शिप्रा शुद्धीकरण को लेकर अब साधु-संतों के साथ कांग्रेस भी मैदान में उतर गई है. कांग्रेस की महिला नेत्री नूरी खान ने जल सत्याग्रह शुरू कर दिया है. इसके अलावा जल समाधि की धमकी भी दी है. पूरे मामले को लेकर साधु संत भी दो धड़े में बंट गए हैं.
उज्जैन में शिप्रा शुद्धीकरण अब राजनीति का भी अखाड़ा बन गया है. साधु-सतों के बाद अब कांग्रेस भी पूरे मामले को लेकर मैदान में आ गई है. महिला कांग्रेस की मध्य प्रदेश उपाध्यक्ष नूरी खान ने गुरुवार सुबह जल सत्याग्रह शुरू कर दिया है. उन्होंने दत्त अखाड़ा घाट पर शिप्रा नदी में उतर कर आंदोलन शुरू कर दिया. इसके बाद प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने उन्हें बाहर निकालने की कोशिश भी की लेकिन वे अपनी मांगों को लेकर अड़ी हुई हैं. कांग्रेस नेत्री नूरी खान के मुताबिक सरकार ने शिप्रा शुद्धिकरण को लेकर अलग-अलग समय में 600 करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च की है. इनमें 100 करोड़ रुपये खान नदी डायवर्जन के भी शामिल हैं. इसके बावजूद अभी तक शिप्रा नदी की हालत नहीं सुधरी है.
नूरी खान को मनाने में जुटा प्रशासन
शिप्रा शुद्धीकरण को लेकर साधु-संतों ने भी आंदोलन किया मगर इसका भी कोई असर नहीं पड़ा है. इसी के चलते उन्हें खुद जल सत्याग्रह शुरू करना पड़ा है. कांग्रेस नेत्री नूरी खान ने मांग पूरी नहीं होने पर शिप्रा में समाधि लेने की भी धमकी दे दी है.
इसके बाद जिला प्रशासन और पुलिस में सक्रिय हो गया है. कांग्रेस नेत्री नूरी खान से बात करने के लिए डिप्टी कलेक्टर जगदीश मेहरा और सिटी एसपी पल्लवी शुक्ला दत्त अखाड़ा घाट पर पहुंचीं लेकिन नूरी खान आंदोलन समाप्त नहीं किया. उनका कहना है कि पहले ठोस कार्रवाई की जाए, इसके बाद वे आंदोलन समाप्त करेंगी.
उल्लेखनीय है कि शिप्रा शुद्धिकरण को लेकर साधु-संतों ने भी कुछ दिनों पहले दत्त अखाड़ा घाट पर धरना दिया था. उसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट को उज्जैन भेजा था. वर्तमान में शिप्रा शुद्धिकरण को लेकर कार्य योजना तैयार की जा रही है.
शास्त्रों में शिप्रा का विशेष महत्व
शास्त्रों के मुताबिक शिप्रा नदी में अमृत की बूंदें गिरी थीं, इसी के चलते यहां पर सिंहस्थ महापर्व का आयोजन भी होता है. सिंहस्थ महापर्व के पहले भी शिप्रा शुद्धीकरण को लेकर काफी मुद्दे उठते हैं. यहां पर तीन दशक से चुनावी राजनीति भी शिप्रा शुद्धिकरण के आस-पास ही घूमती आई है, मगर शिप्रा का अभी तक उद्धार नहीं हो पाया है. पंडित अमर डिब्बा वाला के मुताबिक शिप्रा नदी का शास्त्रों में काफी महत्व है. उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी को लेकर यह भी उल्लेख है कि इसके दर्शन करने मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
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