Ujjain News: उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में जनप्रतिनिधियों को आम दिनों में कई सुविधा मुहैया कराई जाती है. उन्हें आम श्रद्धालुओं से अलग वीआईपी दर्शन और भस्म आरती में विशेष रूप से शामिल का अनुमति पास भी जारी किया जाता है. आचार संहिता लगते ही महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति ने सभी सुविधाओं को बंद कर दिया है. अब वीआईपी भी आम श्रद्धालु की तरह दर्शन कर सकेंगे.
महाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि चुनाव आचार संहिता लगने के बाद महाकालेश्वर मंदिर में प्रोटोकॉल व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि महाकालेश्वर मंदिर में ब्रह्म मुहूर्त में होने वाली भस्म आरती में सभी प्रकार से 350 सीट का कोटा रहता है. इस कोटे को भी आचार संहिता लगने के बाद समाप्त कर दिया गया है. उन्होंने बताया है कि मंदिर आने वाले वीआईपी को मंदिर समिति की ओर से प्रोटोकॉल व्यवस्था मुहैया कराई जाती थी. इसे भी आचार संहिता के बाद बंद कर दिया गया है.
सशुल्क दर्शन की व्यवस्था जारी रहेगी
अब मंदिर आने वाले जनप्रतिनिधियों को आम श्रद्धालुओं की तरह दर्शन करना पड़ेंगे. उन्होंने बताया कि सशुल्क दर्शन की व्यवस्था जारी रहेगी, मगर प्रोटोकॉल नहीं मिल पाएगा. सोनी ने बताया कि वीआईपी और जनप्रतिनिधियों को नंदी हाल में दर्शन की अनुमति दी जाती थी. इसे भी आम श्रद्धालुओं की तरह ही सभी के लिए कर दिया गया है. जो श्रद्धालु पात्र रहेंगे, उन्हें ही मंदिर में दर्शन और भस्म आरती में शामिल होने की अनुमति रहेगी.
वीआईपी व्यवस्था को कांग्रेस बना रही थी निशाना
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने हाल ही में ट्वीट करते हुए महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और उद्योगपति अनिल अंबानी के प्रवेश को लेकर सवाल उठाए थे. उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि महाकालेश्वर मंदिर में बीजेपी के नेता कार्यकर्ता सभी नियमों को तक में रखकर गर्भगृह में प्रवेश कर रहे हैं, जबकि आम लोगों को शुल्क देने के बावजूद गर्भगृह की अनुमति नहीं दी जा रही है. अब आचार संहिता लगने के बाद मंदिर समिति ने सभी सुविधाओं को आचार संहिता खत्म होने तक बंद कर दिया है.