Madhya Pradesh News: पिछले लोकसभा चुनाव में गुना (Guna) सीट से हार के बाद ग्वालियर के महाराज यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) बदले-बदले से नजर आ रहे है. अब उनकी रणनीति समाज के सभी वर्गों से सीधे संवाद और संपर्क की है. इसी कड़ी में शनिवार शाम ग्वालियर (Gwalior) में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया एक अलग भूमिका में नजर आए है. उन्होंने समाज के सबसे निचले तबके यानी अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को न केवल अपने हाथ से खाना परोस कर खिलाया बल्कि उनके साथ बैठकर उनकी थाली में भोजन भी किया.


इमरती देवी हुई भावुक
कहा जा रहा है कि सिंधिया घराने में पहली बार किसी ने ऐसा किया है. सिंधिया से बैठक में कुछ समाज के लोगों ने सवाल किया था कि आज भी उनको मंच पर जाति की वजह से उच्च स्थान नहीं मिलता है. इस पर सिंधिया ने जो किया उसके बाद सब उनके मुरीद हो गए. वहीं उनकी खास समर्थक इमरती देवी तो इस कदर भावुक हो गई कि उनके आंसू निकल आये. केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अनुसूचित जाति समाज के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद न केवल उनके साथ खाना खाया बल्कि कहा कि दो अप्रैल 2018 के समाजिक दंगों को प्रदेश आज भी नही भूला है. दो अप्रैल 2018 का दिन इतिहास का एक काला दिन था, जिसे भुलाकर हम सभी को एक साथ मिलकर आगे बढ़ना होगा. 


सिंधिया ने अपने हाथों से खाना परोसा
यहां बता दें कि दो अप्रैल 2018 को जातिगत हिंसा के बाद विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी को ग्वालियर, चंबल अंचल में हुआ था. यहां लगभग 90 प्रतिशत सीट बीजेपी के हाथ से चली गई थी. वहीं कार्यक्रम के दौरान सिंधिया का सहज अंदाज भी देखने को मिला. सिंधिया ने अनुसूचित जाति समाज के लोगों को अपने हाथों से खाना परोसा और फिर उनके साथ बैठकर भोजन किया. राज परिवार से होने के बावजूद सिंधिया बेहद आम तरीके से पेश आए तो अनुसूचित जाति समाज के लोग भी महाराज के अंदाज के मुरीद हो गए. उन्होंने कहा कि सिंधिया परिवार ने हमेशा एससी वर्ग के लिए काम किया है


कहा यह हमारी परंपरा है
तीन दिवसीय प्रवास पर ग्वालियर आए सिंधिया ने अनुसूचित जाति वर्ग के जनप्रतिनिधियों और आम लोगों के कार्यक्रम में शिरकत की. इस दौरान सिंधिया ने कहा कि बीजेपी और सिंधिया परिवार ने हमेशा अनुसूचित जाति के उत्थान के लिए काम किया है और हमेशा करते रहेंगे. इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए सिंधिया ने कहा कि हमारी परंपरा है, हम पहले दूसरों को खाना खिलाते हैं, फिर खुद खाना खाते हैं, उसी परंपरा का निर्वहन मैंने किया है. सिंधिया ने कहा कि ग्वालियर, चंबल और एमपी के सभी वर्गों से हमारा प्रेम का नाता है. खुद खाने से पहले दूसरों को अपने हाथों से भोजन परोसना और फिर सबके खाने में उनको संतुष्टि मिलती है.


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