MP: दतिया में 'कलयुग की सति', निकिता ने भगवान शिव को मान लिया अपना पति, वरमाला पहनाई और रचा ली शादी
Marriage With Lord Shiva: निकिता के परिजन भी इस अनोखी शादी से खुश थे. उनका कहना है कि निकिता के शिव से शादी करने पर लोगों ने ऐतराज जताया. हालांकि अच्छा करने वालों का विरोध तो हमेशा से होता रहा है.
Unique Wedding in Datia: मध्य प्रदेश के दतिया जिले में एक बार फिर मीरा बाई जैसी ही कहानी दोहराई गई है. बस फर्क इतना है कि मीरा बाई ने भगवान कृष्ण को अपना पति माना था तो दतिया की निकिता ने भगवान शिव को पति मान लिया है. भगवान शिव को वरमाला पहनाई है. दुल्हन की तरह सजी-धजी निकिता की शादी में हल्दी-मेहंदी की रस्म के साथ मंगल गीत भी गाये गए.
भगवान शिव के नाम न्यौछावर किया जीवन
यह अनोखी शादी पूरे दतिया जिले में चर्चा का विषय बनी हुई है. हालांकि, निकिता और उसके परिजनों को समाज के ताने भी सुनने मिल रहे हैं, लेकिन उन्हें भगवान की भक्ति के आगे इसकी कोई परवाह नहीं है. आइये जानते हैं कि इस अनोखी शादी के बारे में निकिता क्या कहती हैं. निकिता ने कहा कि आज संसार में हर इंसान दु:खी है. इसलिए हमने अध्यात्म का मार्ग चुना. भगवान शिव को पति मानकर अपना जीवन उन पर न्यौछावर कर रही हूं.
ब्रह्मकुमारी आश्रम में हुई अनोखी शादी
दतिया के ब्रम्हकुमारी आश्रम में इस अनोखी शादी के दौरान दिन में हल्दी-मेहंदी सहित तमाम रस्मों को निभाया गया. बाद में मैरिज गार्डन में रात को वरमाला की भी रश्म पूरी की गई. निकिता चौरसिया ने भगवान शिव के चित्र पर वरमाला डाली और उन्हें अपना पति मान लिया. लोगों ने वर को प्रणाम किया तो वधु को आशीर्वाद भी दिया. एमबीए पास निकिता की शादी में परिजनों के साथ ब्रम्हकुमारी आश्रम की बहनें और अन्य सदस्य मौजूद थे. इस दौरान निकिता पूरी तरह दुल्हन के लिबास में सजी थी.
खुश दिखे निकिता के परिजन
निकिता के परिजन भी इस अनोखी शादी स्व बेहद खुश थे. उनका कहना है कि निकिता के भगवान शिव से शादी करने पर समाज के लोगों ने ऐतराज जताया. हालांकि अच्छा करने वालों का विरोध तो हमेशा से होता रहा है. निकिता की शादी करवाने वाले ब्रह्मकुमारी आश्रम की बहनों के मुताबिक परमात्मा से एकाकार होने का यह एक मार्ग है. हम लोगों को आज बहुत खुशी हो रही है.
सांसारिक जीवन का त्याग करना बहुत कठिन है. समाज की स्थापित परम्पराओं की धारा के विपरीत जाकर मीराबाई की तरह भगवान को अपना पति मान लेना और भी कठिन काम है. तारीफ की बात यह है कि एमबीए की शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी निकिता ने अध्यात्म का मार्ग चुना है.
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