Teachers Recruitment in MP Universities: मध्य प्रदेश के 13 विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 75 फीसदी पद खाली हैं. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष दायर एक याचिका के माध्यम से जब यह जानकारी मिली तो उसने राज्य सरकार से दो टूक पूछ लिया कि क्यों न विश्वविद्यालयों के रिक्त पद पीएससी के माध्यम से भर दिए जाएं? हाई कोर्ट ने सरकार से जवाब मांग कर सुनवाई की. अगली तारीख 8 मई तय की गई है. वहीं, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के विधि विभाग में प्राध्यापकों की कमी से जुड़े मामले में हाई कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
1942 में से 1428 पद खाली
इस मामले में छात्रों का कहना था कि वे BA.LLB के पांच साल के कोर्स के स्टूडेंट हैं और विभाग में नियमित प्राध्यापक नहीं हैं. इस मामले में कोर्ट में प्रस्तुत रिपोर्ट में बताया गया कि विधि विभाग में कुल 4 नियमित शिक्षक हैं. यहां एलएलबी के साथ एलएलएम का कोर्स भी संचालित है, इसलिए इतनी फैकल्टी पर्याप्त नहीं है. मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने बताया कि उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के 13 विश्वविद्यालयों में 1942 पद स्वीकृत किए हैं. इनमें से 1428 पद खाली पड़े हैं.
उन्होंने दलील दी कि प्रत्येक विवि में करीब 75 फीसदी पद रिक्त हैं. विश्वविद्यालय उन्हें भरने में विफल रहे हैं. उन्होंने कोर्ट को सुझाव दिया कि इन रिक्त पदों को भरने का काम एमपीपीएससी जैसी संस्था को सौंप दिया जाए. इससे अच्छे उम्मीदवार आएंगे और विश्वविद्यालयों के शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार होगा.
जनहित याचिका के रूप में सुनवाई के निर्देश
दरअसल, जबलपुर निवासी रोहित पाली और अन्य ने साल 2013 में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के विधि विभाग में प्राध्यापकों की कमी को लेकर याचिका दायर की थी. मंगलवार को इसी मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को बताया गया कि मध्य प्रदेश के 13 विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के स्वीकृत पद के खिलाफ लगभग 75 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं. चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने स्वतः संज्ञान लेकर इस मामले पर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई के निर्देश दिए.
इसके साथ ही हाई कोर्ट ने राज्य शासन से पूछा है कि क्यों न प्रदेश के विश्वविद्यालयों में रिक्त पड़ी सीटें मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के माध्यम से भरी जाएं? मामले पर अगली सुनवाई 8 मई को निर्धारित की है.