MP Urban Bodies Elections 2022: मध्यप्रदेश में आगामी नगरीय निकाय चुनावों (MP Urban Bodies Elections) से पहले शिवराज सरकार ने बड़ा फैसला किया है. अब नगर निगमों में महापौर, नगर पालिका एवं नगर परिषदों में अध्यक्ष पद का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराए जाएंगे, यानी इन्हें सीधे जनता चुनेगी. नए नियम को अध्यादेश (Ordinance) के जरिये लागू करने की तैयारियां अंतिम चरण में हैं. नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह  (Urban Development Minister Bhupendra Singh) ने आज मीडिया को जानकारी दी.


मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव से पहले बड़ा अपडेट


मंत्री भूपेंद्र सिंह के मुताबिक चूंकि महापौर या अध्यक्ष जनता का होता है इसलिए सीधे चुनाव होना चाहिए. इसके अध्यादेश के लिए आयुक्त को सूचित कर दिया गया है. शिवराज सरकार (Shivraj Government) अध्यादेश लाकर कमलनाथ सरकार के पुराने फैसले को पलट देगी. कमलनाथ सरकार के समय महापौर और अध्यक्षों का चुनाव सीधे जनता के जरिए न कराकर पार्षदों के माध्यम से होता था. मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग (Madhya Pradesh State Election Commission) की अभी तक की चुनावी प्रक्रिया में कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) का अप्रत्यक्ष प्रणाली ही चल रहा था. प्रदेश के दो निकायों में अप्रत्यक्ष प्रणाली से ही चुनाव हुए. नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि महापौर या नगरपालिका का अध्यक्ष पूरे शहर का प्रतिनिधित्व करता है. इसलिए जनता से निर्वाचित होना चाहिए.


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प्रत्यक्ष प्रणाली में पार्षदों की जोड़तोड़ खरीद फरोख्त की गुंजाइश नहीं रहती है. निष्पक्षता से चुनाव होने पर जनता को अपना महापौर-अध्यक्ष चुनने का मौका मिलता है. उन्होंने कहा कि पुराने नियम को बदलने के लिए एक अध्यादेश रहे हैं. आयुक्त को इसके बारे में सूचित कर दिया गया है. वर्ष 2019 में तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम में संशोधन कर महापौर, नगर पालिका एवं नगर परिषद अध्यक्षों के सीधे निर्वाचन को खत्म कर दिया था. यानी इन पदों पर निर्वाचन पार्षदों से कराने का नियम लागू हो गया था, जो आज भी प्रभावी है.


चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने के लिए आएगा अध्यादेश


राज्य निर्वाचन आयोग की अभी तक की चुनावी प्रक्रिया में अप्रत्यक्ष प्रणाली ही अपनाई जा रही है. इसके लिए अध्यादेश लाकर बदलाव किया जाएगा और विधानसभा से पारित कराया जाएगा. कमलनाथ सरकार बदलने के बाद शिवराज सरकार अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव का फैसला बदलने को अध्यादेश लाई थी. दिसंबर 2020 में अध्यादेश को कैबिनेट से पारित करवा भी लिया था लेकिन विधानसभा से विधेयक पारित नहीं होने के चलते अध्यादेश खुद समाप्त हो गया. अब शिवराज सरकार कमलनाथ सरकार के पुराने फैसले को पलटने जा रही है. 


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