Watch: मध्य प्रदेश में फिर इंसानियत शर्मसार, सीधी में परिजनों को नहीं मिली एंबुलेंस, हाथ ठेले से शव ले गए घर
परिजनों ने मरीज की मौत का कारण जिला अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था का बेहतर नहीं होना बताया. उन्होंने कहा कि अशोक कोल का शव घर ले जाने के लिए अस्पताल प्रबंधन से कई बार एंबुलेंस की मांग की गई.
MP Viral Video: मध्य प्रदेश से एक बार फिर मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई है. आदिवासी युवक का शव ले जाने के लिए परिजनों को एंबुलेंस नहीं मिला. आखिरकार परिजनों को खुद हाथ ठेले पर युवक का शव कई किमी दूर घर तक ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ा. परिजनों का आरोप है कि गुहार को अस्पताल स्टाफ ने अनसुना कर दिया. युवक की मौत के बाद लावारिस की तरह शव को छोड़ दिया. किसी ने घटना का वीडियो मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया. अब वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
मानवता को शर्मसार कर देने वाली तस्वीर सामने
शर्मनाक तस्वीर सीधी जिले में चुरहट थाना इलाके के बम्हनी गांव की है. 40 साल का अशोक कोल कोतवाली थाना इलाके के इन्द्रानगर में किराए पर रहता था. मजदूरी कर घर चलानेवाले अशोक कोल की 3 फरवरी की रात तबीयत ज्यादा खराब हो गई. गंभीर हालत देख परिजन जिला अस्पताल ले आए. डॉक्टरों ने अस्पताल में इलाज शुरू किया. इलाज के दौरान अशोक कोल की मौत हो गई.
परिजनों को शव ले जाने के लिए नहीं मिला वाहन
मृतक के परिजनों ने बताया कि अशोक कोल को उल्टी की शिकायत थी. इलाज कराने जिला अस्पताल आए थे. उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल में डॉक्टरों की कोशिश के बावजूद मरीज को बचाया नहीं जा सका. परिजनों ने मरीज की मौत का कारण जिला अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था का बेहतर नहीं होना बताया. उन्होंने कहा कि अशोक कोल का शव घर ले जाने के लिए अस्पताल प्रबंधन से कई बार एंबुलेंस की मांग की गई.
एमपी के सीधी जिले में मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीर, शव वाहन नही मिला तो परिजनों ने ठेले में शव को 2 किलोमीटर दूर तक ले गए.@ABPNews @CMMadhyaPradesh @OfficeOfKNath pic.twitter.com/quCe3L4l0G
— DEVENDRA PANDEY (@Devendra_ABP) February 4, 2023
हाथ ठेले पर रखकर घर ले जाने को हुए मजबूर
अस्पताल का स्टाफ इधर-उधर की बात कर गुमराह करता रहा. शव वाहन नहीं मिलने के कारण परिवार की सहमति से शव को हाथ ठेले पर रखकर घर ले गए. बता दें, सीधी जिले में शव को कंधे या हाथ ठेले पर रखकर ले जाने का कोई पहला मामला नही है. पहले भी दर्जनों मामले सामने आ चुके हैं. बावजूद इसके जिला प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन गंभीर नही है .
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